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साइंस
जया पाण्डेय | Aug 03, 2025, 12:00 PM IST
1.जर्मनी का खौफनाक प्लान
जर्मनी की रक्षा प्रौद्योगिकी एक खौफनाक मोड़ ले रही है. यहां साइबॉर्ग कॉकरोच अब युद्धक्षेत्र की योजना का हिस्सा बन गए हैं. यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप जहां सैन्य खर्च बढ़ा रहा है, वहीं जर्मनी अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने के लिए स्टार्ट-अप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर दांव लगा रहा है.
2.जिंदा कॉकरोच करेंगे निगरानी
इस देश ने जिंदा कीड़ों को निगरानी रोबोट में बदल दिया है. जापान न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार स्वार्म बायोटैक्टिक्स ने इस कॉकरोच आधारित जैव रोबोट को विकसित किया है जो कैमरे, सेंसर और सुरक्षित संचार मॉड्यूल से भरे छोटे बैकपैक्स ले जाते हैं और दुश्मन के खेमे से डेटा संग्रह करते हैं.
3.इन कॉकरोचों में क्या होगा खास
स्वार्म बायोटैक्टिक्स के सीईओ स्टीफन विल्हेम ने रॉयटर्स को बताया, 'जीवित कीड़ों पर आधारित हमारे बायो-रोबोटिक्स तंत्रिका उत्तेजना, सेंसर और सुरक्षित संचार मॉड्यूल से लैस हैं. इन्हें व्यक्तिगत रूप से संचालित किया जा सकता है या झुंड में ऑटोमेटेड तरीके से संचालित किया जा सकता है.
4.कैसे काम आएंगे ये कॉकरोच?
रॉयटर्स के अनुसार यह तकनीक इन कीड़ों को मलबे, दीवारों या तंग जगहों से गुजरने में सक्षम बनाती है. इन जगहों पर पारंपरिक ड्रोन विफल हो जाते हैं. इससे ये शहरी युद्ध क्षेत्रों, बंधकों को बचाने या आपदा के वक्त आदर्श बन जाते हैं.
5.कॉकरोचों को ही क्यों चुना गया?
कॉकरोच छोटे, तंग और जटिल इलाकों में भी आसानी से चल सकते हैं. ये गुण उन्हें सूक्ष्म निगरानी के लिए एक आदर्श जीवित जीव बनाते हैं. यांत्रिक रोबोटों के विपरीत इन्हें चलने के लिए किसी ऊर्जा की जरूरत नहीं होती और ये 3 ग्राम तक का भार ढोते हुए भी विषम परिस्थितियों में जिंदा रह सकते हैं.
6.क्या है इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य?
इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य इंसान के जीवन को जोखिम में डाले बिना दुश्मन के इलाके से जमीनी खुफिया जानकारी उपलब्ध कराना है. डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि जर्मनी का कभी सतर्क सैन्य रुख अब तेज़ी से बदल रहा है.
7.स्टार्टअप आइडियाज़ की बाढ़
साइबर इनोवेशन हब के स्वेन वीज़ेनेगर के अनुसार अब स्टार्टअप आइडियाज़ की बाढ़ आ रही है. एक दिन में 30 लिंक्डइन रिक्वेस्ट तक बर्लिन अभूतपूर्व रूप से नवाचार को अपना रहा है.
8.कैसे खास है जर्मनी की कॉकरोच-साइबॉर्ग पहल?
जर्मनी की कॉकरोच-साइबॉर्ग पहल जासूसी और रोबोटिक्स में एक नए आयाम का संकेत देती है. यह एक ऐसी पहल है जो बायोलॉजी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ती है. अभी अपने शुरुआती दौर में ही इस तकनीक ने दुनिया भर के डिफेंस स्ट्रैटेजिस्ट का ध्यान अपनी ओर खींचा है और भविष्य में इसमें काफी संभावनाएं हैं.
नोट- सभी तस्वीरें AI जनरेटेड हैं.
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