नौकरी की सैलरी से नहीं हो रही है बचत, तो शुरू करें ये 5 पार्टटाइम बिजनेस; हो जाएंगे मालामाल
अनिल कपूर ने एचआईवी-एड्स पीड़ितों के इलाज के लिए रिसर्च सेंटर को दिए 75 लाख रुपए
LIC की इस स्कीम से हर महीने कर सकते हैं 7000 रूपया की कमाई, यहां देखें सभी डिटेल
Yashasvi Jaiswal Century: ओवल में यशस्वी जायसवाल ने लगाया शतक, इन रिकॉर्ड्स को किया अपने नाम
August Grah Gochar 2025: अगस्त आते ही चमक जाएगी इन 4 राशियों के लोगों की किस्मत, कदम चूमेगी सफलता
परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा जल्द देने वाले हैं 'गुड न्यूज', कपिल के शो में कर दिया खुलासा!
Lionel Messi करेंगे 14 साल बाद भारत का दौरा, विराट-रोहित साथ खेलेंगे मैच; इतनी होगी टिकट की कीमत
भारत
जस्टिस अभय एस. ओका ने सुप्रीम कोर्ट में अपने आखिरी दिन 11 अहम फैसले सुनाते हुए CJI केंद्रित व्यवस्था पर सवाल उठाया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को और अधिक लोकतांत्रिक बनाने की वकालत की और ट्रायल कोर्ट की अनदेखी पर चिंता जताई.
सुप्रीम कोर्ट से रिटाइर होने के बाद जस्टिस अभय एस. ओका ने जो बातें कहीं, वो केवल एक फेयरवेल भाषण नहीं, बल्कि एक न्यायिक व्यवस्था को आईना दिखाने वाली बात थी. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह व्यवस्था अभी भी मुख्य न्यायाधीश (CJI) केंद्रित है, जबकि हाईकोर्ट कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं. जस्टिस ओका की यह टिप्पणी न केवल न्यायपालिका के अंदर बदलाव की जरूरत को रेखांकित करती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि अब सर्वोच्च अदालत को भी पारदर्शिता और जनहित की ओर कदम बढ़ाने होंगे. उनके विचारों ने न्यायपालिका में सुधार की बहस को फिर से जीवंत कर दिया है.
जस्टिस अभय एस. ओका ने सुप्रीम कोर्ट में अपने आखिरी दिन जो बात कही, वह आने वाले समय में न्यायिक चर्चा की दिशा तय कर सकती है. उन्होंने अपने विदाई भाषण में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को CJI केंद्रित कोर्ट के बजाय एक सामूहिक और लोकतांत्रिक संस्था बनने की जरूरत है. उन्होंने अपने संबोधन में हाईकोर्ट की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां काम ज्यादा पारदर्शी और समिति आधारित होता है.
जस्टिस ओका ने ट्रायल कोर्ट की अनदेखी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन अदालतों को 'अधीनस्थ' कहकर उन्हें कमतर न आंका जाए. उन्होंने बताया कि लाखों केस इन अदालतों में पेंडिंग हैं और 25 साल तक अपीलें पेंडिंग रहना बेहद ही गंभीर चिंता का विषय है. हमें इसके बारे में सोचने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए एक स्थायी समिति का गठन होनी चाहिए जो इन मुद्दों के लिए समाधान ढूंढ सकें.
उन्होंने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट में भी ‘ऑटो लिस्टिंग सिस्टम’ और निश्चित रोस्टर जैसी व्यवस्थाएं लागू होनी चाहिए, जिससे मैन्युअल हस्तक्षेप कम हो और लिस्टिंग में पारदर्शिता आए. जस्टिस ओका ने अपनी मां के निधन के अगले दिन भी अदालत में 11 फैसले सुनाए. यह उनकी न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने कहा, 'एक बार जब आप जज बनते हैं, तो केवल संविधान और विवेक ही आपका मार्गदर्शन करते हैं.
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से जुड़ें.