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भारत
भारत की राजधानी दिल्ली में जल संकट गहराता जा रहा है. जल संकट बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वॉर्मिंग है.
दिल्ली समेत पूरे भारत में जल का संकट बढ़ता जा रहा है. बढ़ते जल संकट के कई कारण हैं. तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण जल निकायों का प्रदूषण बढ़ गया है, जिससे वे पीने लायक नहीं रह गए हैं. दिन ब दिन बढ़ते जल संकट का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वॉर्मिंग है. इसके साथ ही जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जा रही है और औद्योगिक गतिविधियां तेज होती जा रही हैं, पानी की मांग बढ़ती जा रही है, जिससे शहरों में पानी का लेवल डाउन होता जा रहा है.
क्या होता है ग्लोबल वॉर्मिंग?
वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है. इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन भी होता है. जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का पैटर्न बिगड़ गया है, जिससे दिल्ली समेत पूरे देश में पानी की उपलब्धता प्रभावित हो रही है.
पानी की कमी भारी संकट
पानी की कमी के परिणाम बेहद विनाशकारी हैं, खासकर भारत में पानी की कमी से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि पर असर पड़ता है. पानी की कमी से फसल की पैदावार कम होती है और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती हैं. पानी नहीं होगा तो फसल नहीं होगी और फसल नहीं होगी तो खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं होगी. पानी का संकट बढ़ता रहा तो देश भारी संकट से घिर जाएगा.
इन कारणों से बढ़ रहा जल संकट
भारत में तेजी से जनसंख्या बढ़ती जा रही है. बढ़ती जनसंख्या और इस तेज शहरीकरण ने पानी की मांग को बढ़ा दिया है. इसके अलावा भूजल पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन अनियंत्रित और अनियंत्रित इस्तेमाल के कारण पानी का स्तर घटता ही जा रहा है. दिल्ली की 90% से अधिक जलापूर्ति भूजल पर निर्भर करती है और अत्यधिक दोहन के कारण जल स्तर हर साल कई मीटर नीचे चला जाता है.
आपको बता दें कि पानी की बर्बादी के साथ लोग पानी को गंदा करते हैं. नदी जो कभी स्वच्छ जल प्रदान करती थी, अब जहरीले रसायनों की वजह से पूरी तरह से दूषित हो गई है. ऐसे में दूषित पानी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और नदियों का पानी बेकार हो जाता है. इन सभी समस्याओं के अलावा जल प्रबंधन सही न होना भी एक बड़ा कारण है, जिसके परिणामस्वरूप पानी की काफी हानि होती है.
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