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90 घंटे काम वाले बयान के बाद L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन फिर चर्चा में, बोले- भारत में मजदूर नहीं करना...

SN Subrahmanyan Controversial Statement: एसएन सुब्रह्ममण्यम ने कहा कि मजदूरों की कमी की वजह से एलएंडटी को हर साल 4 लाख मजदूरों की जगह 16 लाख लोगों को भर्ती करन पड़ता है.

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90 घंटे काम वाले बयान के बाद L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन फिर चर्चा में, बोले- भारत में मजदूर नहीं करना...

L&T chairman sn Subrahmanyan

लॉर्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्ममण्यम (S.N. Subrahmanyan) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उन्होंने कहा कि भारत में मजदूर काम को तैयार नहीं हैं. इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है. इससे पहले उन्होंने 90 घंटे काम और रविवार को भी काम करने की सलाह दी थी. 

CII मिस्टिक साउथ ग्लोबल लिंकएज शिखर सम्मेलन 2025 में बोलते हुए एसएन सुब्रह्ममण्यम ने कहा, 'भारतीय श्रमिक जिनमें तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं, नौकरी के लिए आगे बढ़ने से हिचकिचाते हैं. इससे उद्योग के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं.' उन्होंने कहा कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के कारण मजदूर अपने गांवों से बाहर जाकर काम करने में हिचकिचाते हैं. 

सुब्रह्ममण्यम ने कहा कि दुनियाभर में लोग काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं. लेकिन भारत में लोग काम करने को तैयार नहीं हैं. किसी भी देश के विकास के लिए सड़कें, बिजली संयंत्र जैसे ढांचे अहम होते हैं, लेकिन श्रमिकों के काम नहीं करने की वजह से यह मुश्किल हो रहा है.  

MGNREGA और डीबीटी को बताया वजह
उन्होंने कहा कि निर्माण उद्योग को मजदूर मिलना काफी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि मनरेगा (MGNREGA), डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) और जन धन खातों जैसी सरकारी योजनाओं की वजह से लोग काम करने के लिए घर छोड़ने के लिए इच्छुक ही नहीं हैं.

16 लाख मजदूर करने पड़ते हैं भर्ती
सुब्रह्ममण्यम ने कहा कि भारत में उद्योग जगत को मौजूदा समय में बड़ी अजीबो-गरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है. एलएंडटी को 4 लाख मजदूरों की जरूरत होती है, लेकिन 16 लाख लोगों की भर्ती करनी पड़ती है. क्योंकि कुछ मजदूर बीच में ही काम छोड़कर चले जाते हैं.  

L&T के चेयरमैन ने मजदूरों की सैलरी बढ़ाने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि श्रमिकों के बीच में काम छोड़ने की एक वजह यह भी होती है कि उनके काम के हिसाब से पैसा नहीं मिल पाता. भारतीय मजदूर गल्फ देशों में काम करने के लिए इसलिए प्राथमिकता देते हैं कि वहां भारत से 3 से 3.5 गुना अधिक वेतन मिलता है.

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