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Operation Midnight Hammer: कैसे 25 मिनट में अमेरिका ने तबाह की ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट्स? 

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर - यह नाम अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हवाई हमलों के बाद दिया गया था. इसमें 25 मिनट तक चले ऑपरेशन में 125 से अधिक विमानों और बमवर्षकों को प्रशांत क्षेत्र में 'प्रलोभन' के रूप में तैनात किया गया था.

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Operation Midnight Hammer: कैसे 25 मिनट में अमेरिका ने तबाह की ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट्स? 

अमेरिका के एक शीर्ष जनरल ने रविवार को कहा कि शनिवार को ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हमलों का कोड नाम ऑपरेशन मिडनाइट हैमर था, जिसमें 125 से अधिक विमान और एक डिसेप्शन ऑपरेशनशामिल था, जिसमें बमवर्षक विमानों को प्रशांत महासागर में 'छल' के रूप में तैनात किया गया था. पूरा ऑपरेशन 25 मिनट में पूरा हो गया और ईरानी वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा किसी भी अमेरिकी सैन्य संपत्ति पर हमला नहीं किया गया.

एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल डैन कैन ने कहा कि ईरान के खिलाफ अमेरिकी सैन्य अभियान में सात स्टील्थ बी-2 बमवर्षक विमान शामिल थे. उन्होंने कहा, 'बमवर्षकों ने दो ईरानी परमाणु सुविधाओं, फोर्डो और नतांज़ पर एक दर्जन से अधिक 30,000 पाउंड (लगभग 13,608 किलोग्राम) के बड़े पैमाने पर आयुध भेदक बम गिराए और इस्फ़हान में टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं.'

बमवर्षकों ने शाम 6.40 बजे (ET) फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान पर हमला करना शुरू किया और शाम 7.05 बजे (ET) तक ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर हो गए. कैन ने बताया कि उन्होंने मिसौरी स्थित बेस से उड़ान भरी, जिससे यह 11 सितम्बर 2001 के हमलों के बाद सबसे लम्बा बी-2 मिशन बन गया.

कैन के अनुसार, ईरान पर अमेरिकी हमलों में 14 बंकर-बस्टर बम, दो दर्जन से अधिक टॉमहॉक मिसाइलें और 125 से अधिक सैन्य विमान शामिल थे. हाल ही में मध्य पूर्व संघर्ष में ईरान के खिलाफ अमेरिका द्वारा इस गोला-बारूद का उपयोग करने का यह पहला उदाहरण है.

कैन ने कहा,'मुख्य हमला पैकेज में सात बी-2 स्पिरिट बमवर्षक शामिल थे, जिनमें से प्रत्येक में दो चालक दल के सदस्य थे, जो 18 घंटे की उड़ान के दौरान न्यूनतम संचार के साथ चुपचाप पूर्व की ओर बढ़े.'

यह ऑपरेशन मध्य पूर्व को एक बड़े नए संघर्ष के कगार पर ले जाता है, जो पहले से ही गाजा और लेबनान में युद्धों और सीरिया में लंबे समय से निरंकुश राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के साथ लगभग दो वर्षों से जल रहा है.

यह हमला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बाद भी हुआ, जिन्होंने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर सख्त रुख अपनाया है, उन्होंने कहा कि वह अगले दो हफ्तों में तय करेंगे कि क्या संयुक्त राज्य अमेरिका इस्लामिक गणराज्य पर अपने हमलों में इजरायल का साथ देगा. लेकिन, दो दिन बाद, उन्होंने व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से मिशन की देखरेख करते हुए हमले का आदेश दिया.

ईरान पर हमले करने की समय-सीमा

कैन ने बताया कि बी-2 बमवर्षक अपने लक्ष्यों की ओर कैसे बढ़े, 'शुक्रवार आधी रात से शनिवार सुबह तक, महाद्वीपीय अमेरिका से बमवर्षकों से युक्त एक बड़ा बी-2 हमला पैकेज लॉन्च किया गया. सामरिक आश्चर्य बनाए रखने की योजना के तहत, पैकेज का एक हिस्सा पश्चिम की ओर और प्रशांत क्षेत्र में एक प्रलोभन के रूप में आगे बढ़ा, एक धोखा देने वाला प्रयास जो वाशिंगटन और टैम्पा में बहुत कम योजनाकारों और प्रमुख नेताओं को ही पता था.'

लगभग 5 बजे (ईटी), कैन ने कहा कि एक अमेरिकी पनडुब्बी ने ईरान के इस्फ़हान परमाणु स्थल पर 'मुख्य सतही अवसंरचना लक्ष्यों के विरुद्ध दो दर्जन से अधिक टॉमहॉक लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइलें लॉन्च कीं'.

कैन ने कहा कि प्रमुख बी-2 बमवर्षक ने शाम 6.40 बजे (ईटी) फ़ोर्डो परमाणु स्थल पर दो विशाल बंकर-बस्टर बम लॉन्च किए, उन्होंने कहा कि 'शेष बमवर्षकों ने फिर अपने लक्ष्यों को मारा'.

कैन ने कहा कि अतिरिक्त लक्ष्यों पर शाम 6.40 बजे से 7.05 बजे के बीच हमला किया गया. कैन ने कहा कि इसके बाद अमेरिकी सेना ने 'वापसी शुरू कर दी', उन्होंने कहा कि ईरान ने अमेरिका पर अंदर या बाहर जाते समय कोई गोली नहीं चलाई.

उन्होंने यह भी कहा कि टॉमहॉक मिसाइल इस्फ़हान पर हमला करने वाली आखिरी मिसाइल थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिका 'आश्चर्य का तत्व' बनाए रखे. उन्होंने कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि ईरान की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली ने हमें नहीं देखा.'

पीट हेगसेथ ने कहा कि ईरान के परमाणु हथियार 'नष्ट' हो गए

इस बीच, रक्षा सचिव पीट हेगसेथ, जो ब्रीफिंग में कैन के साथ खड़े थे, ने इस हमले को एक बड़ी सफलता बताया, उन्होंने दावा किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम 'तबाह' और 'नष्ट' हो गया है. हेगसेथ ने दोहराया कि ट्रंप  ने पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि ईरान को 'परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए'.

ईरान की परमाणु क्षमताओं को कमज़ोर करने के उद्देश्य से अमेरिका के हमले, एक सप्ताह से अधिक समय तक इजरायल के नेतृत्व में ईरान की वायु रक्षा प्रणालियों और मिसाइल बुनियादी ढांचे को लक्षित करने वाले हमलों के बाद हुए.

इजराइल ने 13 जून को हमले शुरू किए, जिसमें कहा गया कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की कगार पर है. इजरायल के पास व्यापक रूप से परमाणु हथियार होने की धारणा है, जिसकी न तो वह पुष्टि करता है और न ही इनकार करता है.

ईरान के सरकारी समाचार पत्र नूर न्यूज़ ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि इज़राइल द्वारा हमले शुरू किए जाने के बाद से ईरान में कम से कम 430 लोग मारे गए हैं और 3,500 लोग घायल हुए हैं. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, इज़राइल में 24 नागरिक मारे गए हैं और 1,272 लोग घायल हुए हैं.

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