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मिडल ईस्ट में तबाही का ट्रिगर, क्या है ईरान का ‘हेराल्ड ऑफ विक्ट्री’ मिशन?

ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. अमेरिकी मिसाइल हमलों के जवाब में, ईरान ने 'ऑपरेशन हेराल्ड ऑफ विक्ट्री' नामक जवाबी कार्रवाई शुरू की.

मिडल ईस्ट में तबाही का ट्रिगर, क्या है ईरान का ‘हेराल्ड ऑफ विक्ट्री’ मिशन?

अमेरिकी मिसाइल हमलों के जवाब में, ईरान ने 'ऑपरेशन हेराल्ड ऑफ विक्ट्री' नामक जवाबी कार्रवाई शुरू की.

ईरान और इज़राइल के बीच लंबे समय से जारी शत्रुता हाल के दिनों में युद्ध तक पहुंच चुकी है. दोनों देशों के बीच मिसाइल और ड्रोन हमलों की घटनाएं तेज़ हो गई हैं, जिसमें सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिक और नागरिक बड़ी संख्या में मारे गए हैं. इसी बीच अमेरिका ने अचानक हस्तक्षेप करते हुए ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों  नतांज, इस्फ़हान और फोर्डो – पर मिसाइल हमले किए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई. 

ऑपरेशन हेराल्ड ऑफ विक्ट्री 

इन हमलों के जवाब में ईरान ने ‘ऑपरेशन हेराल्ड ऑफ विक्ट्री’ नामक एक सैन्य अभियान शुरू किया. इस अभियान के तहत ईरान ने कतर स्थित अल-उदैद एयरबेस पर शक्तिशाली मिसाइलें दागीं. यह अमेरिकी सैन्य अड्डा पश्चिम एशिया में रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, जहां अमेरिकी वायु सेना का कमांड हेडक्वार्टर स्थित है. 

IRGC की योजना और चेतावनी 

 हमले की योजना इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने तैयार की थी और इसे ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निर्देश पर अंजाम दिया गया. इस मिशन को "या अबा अब्दुल्ला अल-हुसैन" कोड नाम दिया गया था. ईरान ने कहा कि यह हमला अमेरिका की 'अशिष्ट और आक्रामक' कार्रवाई का करारा जवाब है. 

IRGC ने एक बयान में साफ चेताया 

"अब 'हिट एंड रन' का जमाना खत्म हो चुका है. क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए हर हमला मुंहतोड़ जवाब के लिए तैयार रहेगा." 

अमेरिका की भूमिका पर सवाल 

ईरान और इज़राइल की जंग में अमेरिका का कूदना कई सवाल खड़े करता है. दोनों देशों के बीच तनाव चार दशकों से अधिक पुराना है, लेकिन अमेरिका की ओर से परमाणु ठिकानों पर हमला इस टकराव को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है. 

यह भी पढ़ें: Iran-Israel War: ट्रंप कर रहे थे सीजफायर का ऐलान, ईरानी मिसाइलों ने 6 बार दहलाया इजरायल, 4 की मौत, देखें Video

नुकसान का आंकलन 

ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 13 जून को हुए इज़रायली हमलों में लगभग 500 लोग मारे गए हैं, जबकि इज़रायली अधिकारियों ने दावा किया कि ईरानी हमलों में 24 इज़रायली मारे गए. इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि पश्चिम एशिया अब पूरी तरह जंग के मुहाने पर खड़ा है. 

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