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Sarva Pitru Amavasya: यह है अमावस्या श्राद्ध का समय, कुतुप मुहूर्त, तिथि आरंभ और समापन

Mahalaya: अमावस्या पर उन मृतकों का श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को होती है. इस दिन को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं.

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Sarva Pitru Amavasya: यह है अमावस्या श्राद्ध का समय, कुतुप मुहूर्त, तिथि आरंभ और समापन

अमावस्या श्राद्ध का समय, कुतुप मुहूर्त, अपरान्‍ह काल, तिथि आरंभ और समापन

डीएनए हिंदीः अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी के अलावा महाल्या यानी सर्व पितृ अमावस्या पर उन लोगों का भी पिंडदान होता है जिनकी मृत्यु की तारीख का पता नहीं होता है. वहीं अगर कोई विशेष तिथियों पर श्राद्ध नहीं कर पाता तो अमावस्या पर करता है. 
इस दिन एक ही सभी मृतकों के लिए श्राद्ध किया जा सकता है. अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही पूर्णिमा तिथि को मरने वालों के लिए महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि को किया जाता है.

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पितृ पक्ष श्राद्ध पर्व श्राद्ध (पार्वण श्राद्ध) होते हैं और इन्हें करने का शुभ समय या तो कुटुप मुहूर्त और रोहिना आदि मुहूर्त होता है. उसके बाद अपराहन काल समाप्त होने तक मुहूर्त. श्राद्ध के अंत में तर्पण (तर्पण) किया जाता है.

अमावस्या श्राद्ध रविवार, 25 सितंबर, 2022

कुटुप (कुतुप) मुहूर्त - सुबह 11:24 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक

अवधि - 00 घंटे 48 मिनट

रोहिना (राहुण) मुहूर्त - दोपहर 12:12 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक

अवधि - 00 घंटे 48 मिनट

अपराहन (अपराह्न) काल - दोपहर 01:00 बजे से दोपहर 03:25 बजे तक

अवधि - 02 घंटे 25 मिनट

अमावस्या तिथि शुरू - 03:12 पूर्वाह्न 25 सितंबर, 2022

अमावस्या तिथि समाप्त - 26 सितंबर 2022 को भोर 03:23 तक 

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इस दिन बन रहा महासंयोग
सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थसिद्धि योग का महासंयोग रहेगा- इसके अलावा भी अलग.अलग प्रकार के योग बन रहे हैं- मान्यता है कि जब शुभ संयोगों का अनुक्रम बनता हैए तो पितृकर्म करने से कई गुना अधिक शुभफल प्राप्त होता है- अर्थात इस दिन किए गए पितृकर्म श्राद्ध कर्ता को विशेष पुण्य फल प्रदान करेंगे.

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सर्वार्थसिद्धि योग विशेष योगों की श्रेणी में आता है- इस दिन किया गया धर्म कार्य सार्थक व सिद्ध होता है- 25 सितंबर को रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है- मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार देखें तो उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा तथा उत्तराभाद्रपद यह तीनों नक्षत्र श्रेष्ठ बताए गए हैं- इनकी साक्षी में की गई पूजा सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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