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00 बजे पैदल यात्रा पर निकलते हैं. इस समय हजारों की संख्या में भक्त रास्ते के दोनों ओर उनकी एक झलक पाने को आतुर खड़े रहते हैं. अंधेरे में सन्नाटा होता है, पर वातावरण में भक्ति की गूंज और राधा रानी के नाम की रट रहती है. 

Garima Sharma | Jun 26, 2025, 09:29 PM IST

1.चरणों की धूल के लिए भक्तों में होड

चरणों की धूल के लिए भक्तों में होड
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जब प्रेमानंद महाराज अपने पावन चरणों से पदयात्रा करते हैं, तो भक्त उनके चरणों की धूल लेने को उतावले हो जाते हैं. मान्यता है कि प्रेमानंद महाराज पर राधा रानी की विशेष कृपा है, और उनके चरणों की धूल आशीर्वाद, शुद्धता और आत्मिक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. सुरक्षा कारणों से किसी को उनके पैर छूने की अनुमति नहीं है, लेकिन फिर भी लोग जमीन को छूकर मस्तक लगाकर आस्था व्यक्त करते हैं. 
 

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2.सुरक्षा और शांति के साथ होती है पदयात्रा 

सुरक्षा और शांति के साथ होती है पदयात्रा 
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करीब 3 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में प्रेमानंद महाराज राधा केलि कुंज से आश्रम की ओर बढ़ते हैं. उनके साथ पुलिस बल और स्वयंसेवक चलते हैं, ताकि कोई अव्यवस्था न फैले. उनके शिष्य और भक्त लोगों से संयम और शांति बनाए रखने का लगातार आग्रह करते हैं.

3.कैसे करें प्रेमानंद महाराज के दर्शन

कैसे करें प्रेमानंद महाराज के दर्शन
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अगर आप प्रेमानंद महाराज से एकांत वार्ता या व्यक्तिगत दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको टोकन लेना होगा. हर टोकन पर एक नंबर होता है और उसी क्रम में दर्शन की अनुमति मिलती है. भीड़ अधिक होने के कारण आमतौर पर 2-3 दिन तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है. दर्शन स्थल पर नियम और अनुशासन का पालन अनिवार्य है. व्यवस्था इस तरह से की जाती है कि किसी भी भक्त को असुविधा न हो. 
 

4.श्रद्धा, संयम और सेवा का संगम 

श्रद्धा, संयम और सेवा का संगम 
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प्रेमानंद महाराज की यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, अनुशासन और आत्मिक उन्नति की मिसाल है. उनकी पदयात्रा, चरणों की धूल और दर्शन की प्रक्रिया हर भक्त के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाती है. अगर आप सच्ची श्रद्धा और धैर्य रखते हैं, तो राधा रानी की कृपा से प्रेमानंद महाराज के दर्शन निश्चित ही होंगे. 
 

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