जानिए वो ट्रिक्स जिनसे सोशल मीडिया पर छा जाएगा आपका कंटेंट
Rashifal 03 August 2025: सेहत से लेकर संबंध तक, आज कैसा रहेगा आपका दिन? पढ़ें अपना राशिफल
नौकरी की सैलरी से नहीं हो रही है बचत, तो शुरू करें ये 5 पार्टटाइम बिजनेस; हो जाएंगे मालामाल
अनिल कपूर ने एचआईवी-एड्स पीड़ितों के इलाज के लिए रिसर्च सेंटर को दिए 75 लाख रुपए
LIC की इस स्कीम से हर महीने कर सकते हैं 7000 रूपया की कमाई, यहां देखें सभी डिटेल
Yashasvi Jaiswal Century: ओवल में यशस्वी जायसवाल ने लगाया शतक, इन रिकॉर्ड्स को किया अपने नाम
धर्म
Vedic Mantra for Truth: सत्य जीवन का अभिन्न हिस्सा है जो व्यक्ति के चरित्र, आचरण और कुल के विषय में बताता है.
डीएनए हिंदी: Vedic Mantra for Truth- वेद पुराणों में ऐसे कई श्लोक एवं मंत्रों के बारे में बताया गया है जिनका निजी जीवन में बहुत महत्व है. ऐसा ही एक विषय है 'सत्य' जो जीवन में सत्य बहुत अहम भूमिका निभाता है. यह व्यक्ति के चरित्र, आचरण और आपके कुल के विषय में बताता है. जो व्यक्ति सत्य बोलता है या सत्य की राह पर चलता है तो उसके मान सम्मान में वृद्धि होती है. साथ समाज में परिवार का नाम भी ऊंचा होता है. इसी प्रकार सत्य आचरण के विषय में कुछ ऐसे श्लोक वेदों में वर्णित किए गए हैं जिनको जानना बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं कौन से श्लोक देते हैं सत्य के मार्ग पर चलने की सीख.
सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्याऽभ्यासेन रक्ष्यते।
मृज्यया रक्ष्यते रुपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते।।
इस श्लोक के अनुसार धर्म की रक्षा सत्य से की जा सकती है. विद्या का अभ्यास किया जाता है, रूप को शुद्ध किया जाता है और कुल का रक्षण आचरण से होता है. इन बातों को ध्यान में रखने से ही व्यक्ति सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ता है.
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
नासत्यं च प्रियं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः।।
इस श्लोक के माध्यम से व्यक्ति का आचरण कैसा होना चाहिए यह परिभाषित किया गया है. इस श्लोक में बताया गया है कि सत्य और जो दूसरों के कानों को प्रिय हो ऐसे वचन बोलना व्यक्ति का कर्तव्य है. लेकिन व्यक्ति को किसी को पसंद ना आने वाला सत्य और प्रिय असत्य भी नहीं बोलना चाहिए. यही सनातन धर्म का नियम है.
Shiva Tandava Stotram: सावन में बरसेगी भगवान शिव की कृपा, शिव तांडव स्तोत्र का ऐसे करें पाठ
नास्ति सत्यसमो धर्मो न सत्याद्विद्यते परम्।
न हि तीव्रतरं किञ्चिदनृतादिह विद्यते।।
इसमें बताया गया है कि सत्य के जैसा कोई अन्य धर्म नहीं और सत्य से परम कुछ भी नहीं. साथ ही असत्य से ज्यादा तीव्र और कुछ भी नहीं है. इसलिए व्यक्ति को सत्य की राह पर सदा ही चलना चाहिए. असत्य कुछ समय तक आपको बचा सकती है लेकिन इसकी तीव्रता आपका नाश भी कर सकती है.
सत्यमेव व्रतं यस्य दया दीनेषु सर्वदा।
कामक्रोधौ वशे यस्य स साधुः – कथ्यते बुधैः।।
इस श्लोक में सत्य को व्रत के समान बताते हुए कहा गया है कि केवल सत्य ही ऐसा व्रत है जो सदा दीन की सेवा करना सिखाता है. जिसके वश में काम, क्रोध होता है उसी व्यक्ति को साधु या महात्मा कहा जाता है.
Bhagwan Shiv ke Avatar: भगवान शिव के इन 3 स्वरूपों के अवतरण पीछे छिपी है खास वजह, जानिए
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.