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लाइफस्टाइल
ऋतु सिंह | Jul 22, 2025, 01:53 PM IST
1.पसंद का बच्चा पैदा कर सकेंगे लोग
चिकित्सा विज्ञान अब इतना आगे बढ़ चुका है कि अगर कोई व्यक्ति चाहे, तो धरती पर अपनी पसंद का बच्चा पैदा कर सकता है. ऐसे बच्चों को डिज़ाइनर बेबी कहा जाता है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने तीन-व्यक्ति इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, यानी तीन-व्यक्ति आईवीएफ की मदद से ऐसा कर दिखाया है. आइए देखें, क्या यही है?
2.ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने थ्री पर्सन आईवीएफ तकनीक से पैदा किए बच्चे
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने थ्री पर्सन आईवीएफ तकनीक के ज़रिए आठ बच्चों को जन्म दिया है, जो आनुवंशिक बीमारियों से पूरी तरह मुक्त हैं. ये बच्चे तीन लोगों के डीएनए के मिश्रण से पैदा हुए हैं. जन्म लेने वाले बच्चों में चार लड़के और चार लड़कियाँ शामिल हैं. इनमें से एक जुड़वाँ भी है. चिकित्सा विज्ञान की यह तकनीक उन लोगों के लिए जादू की तरह है, जिनका परिवार वर्षों से किसी आनुवंशिक बीमारी से जूझ रहा है. ऐसे में डिज़ाइनर बच्चे उन बीमारियों से मुक्त होंगे.
3.किसी बच्चे में खराब डीएनए नहीं पाया गया
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन की मानें तो वैज्ञानिकों के अनुसार ये सभी बच्चे पूरी तरह स्वस्थ थे और इन बच्चों की जांच में मां का खराब डीएनए नहीं पाया गया या फिर अगर पाया भी गया तो इतनी कम मात्रा में था कि बीमारी फैलने की संभावना नगण्य थी.
4.कैसे पैदा होते हैं ये डिजाइनर बच्चे
अध्ययन के अनुसार, तीन-व्यक्ति आईवीएफ तकनीक के ज़रिए मां के अंडों और पिता के शुक्राणु केंद्रक को तीसरी स्वस्थ महिला में स्थानांतरित किया जाता है. शोध की प्रमुख लेखिका और न्यूकैसल विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर मैरी हर्बर्ट का कहना है कि माइटोकॉन्ड्रियल दान तकनीक को फ़िलहाल कम जोखिम भरा माना जाता है.
5.ऐसे बच्चों को आनुवंशिक बीमारियों से बचाया जा सकता है
आम लोगों को भले ही यह तकनीक जादू जैसी लगे और उन्हें लगे कि इससे उनके होने वाले बच्चे को आनुवंशिक बीमारियों से बचाया जा सकता है, लेकिन अमेरिका में तीन-व्यक्ति आईवीएफ तकनीक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. 2015 में ब्रिटेन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश बन गया जहाँ माइटोकॉन्ड्रियल दान को कानूनी तौर पर अनुमति मिली. उसी साल अमेरिका ने भी इस पर प्रतिबंध लगा दिया
6.डिजाइनर बेबी के फायदे
आनुवंशिक बीमारियों से बचने में मदद करता है. शिशु के विशिष्ट लक्षण, जैसे लिंग, आंखों का रंग, आदि, को चुनने में मदद करता है. ऐसे माता-पिता के लिए जो आनुवंशिक रूप से विरासत में मिली बीमारी से पीड़ित हैं, उनके बच्चों को प्रभावित बीमारी से बचाने में मदद कर सकता है.