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Uttarakhand Tunnel Rescue: 'ठीक से खाना खाती रहो' मौत के मुंह में बैठा है बेटा पर अपनी नहीं मां की सता रही चिंता

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड में सुरंग के अंदर 40 मजदूरों को फंसे हुए 10 दिन हो गए हैं. आज उन तक खाना पहुंचाने वाले पाइप से वीडियो कैमरा पहुंचने में सफल हो पाया है, जिससे उनका हाल पता चला है.

Uttarakhand Tunnel Rescue: 'ठीक से खाना खाती रहो' मौत के मुंह में बैठा है बेटा पर अपनी नहीं मां की सता रही चिंता

Uttarkashi Tunnel Rescue के दौरान पाइप से कैमरा अंदर भेजते रेस्क्यू टीम के मेंबर्स.

डीएनए हिंदी: Uttarakhand Tunnel Accident Latest News- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सुरंग के मलबे के अंदर 40 मजदूरों को फंसे हुए मंगलवार को 10 दिन पूरे हो गए हैं. मजदूरों को बाहर निकालने के अभियान में मंगलवार को एक बड़ी सफलता उस समय मिली, जब मजदूरों तक एक 6 इंच की पाइपलाइन के जरिये कैमरा पहुंच पाया है. साथ ही वॉकीटॉकी के जरिये उनसे बातचीत कर हालचाल जानने में भी सफलता मिली है. पल-पल मौत के मुंह में बैठे इन मजदूरों में से कुछ को सुरंग में फंसने के बाद पहली बार अपने परिजनों से बात करने का मौका भी मिला. जिन मजदूरों के परिवार वहां मौजूद नहीं थे, उनमें से भी कुछ ने अपनी फैमिली के लिए मैसेज भेजे हैं. इस दौरान एक पल ऐसा भी आया, जब सभी की आंखें नम हो गईं. दरअसल मौत के मुंह में बैठे एक बेटे को वहां भी अपनी मां की ही चिंता सता रही थी. उसने अपनी मां के लिए संदेश भिजवाया है कि वह जल्द लौटेगा, लेकिन तब तक उसकी मां ठीक से खाना खाती रहे.

'मैं ठीक हूं, आप और पापा समय पर खाना खाओ'

दरअसल सिलक्यारा सुरंग में फंसे एक मजदूर जयदेव के मां-बाप बंगाल में हैं. उसने बाहर से कम्युनिकेशन लिंक बनने पर टनल रेस्क्यू साइट सुपरवाइजर से अपना संदेश वॉयसरिकॉर्डिंग पर रिकॉर्ड करने का आग्रह किया. ANI के मुताबिक, जयदेव ने बंगाली भाषा में कहा, मां, मेरी चिंता मत करो. मैं ठीक हूं. प्लीज आप और पापा समय पर खाना खाते रहो. इस दौरान सुपरवाइजर भी अंदर फंसे मजदूरों को यह सांत्वना देते दिखाई दिए कि वे चिंता ना करें और उन्हें जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा.

मजदूरों तक पहुंचा है पहली बार खाना

टनल के मलबे में 53 मीटर लंबा 6 इंच का पाइप अंदर फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचाने में सफलता मिलने के बाद रेस्क्यू टीम बेहद खुश है. इससे मजदूरों के लिए पहली बार खाना और दवाइयां भेजने में सफलता मिली है. साथ ही उन तक वॉकीटॉकी पहुंचाने से अब उनके साथ रेस्क्यू टीम का कम्युनिकेशन लिंक भी बन गया है. इससे मजदूरों का हौसला बढ़ाने में मदद मिलेगी. उन्हें खाने में खिचड़ी, दाल जैसा जल्द हजम होने वाले आयटम्स भेजे गए हैं.

अब हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग करने की है तैयारी

रेस्क्यू टीमों ने पांच अलग-अलग प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ ही अब हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग भी करने की तैयारी की जा रही है. ये हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग सिलक्यारा के साथ ही डंडालगांव में से भी की जाएगी. परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने इस बात की जानकारी दी. जैन ने कहा कि यदि अमेरिकन ऑगर मशीन सफल रही तो अगले 2 से 3 दिन में मजदूर बाहर निकल आएंगे. 

अमेरिका से पहुंचे डिक्स कर रहे अब ऑपरेशन की निगरानी

सुरंग के अंदर फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए टनल ऑपरेशन एक्सपर्ट ऑर्नोल्ड डिक्स भी अमेरिका से रेस्क्यू साइट पर पहुंच गए हैं. डिक्स ने पहुंचते ही पूरे ऑपरेशन की निगरानी का काम हाथ में ले लिया है. इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डिक्स के पास ऐसे रेस्क्यू ऑपरेशन का भरपूर अनुभव है. डिक्स ने ANI से कहा, यहां परिस्थितियां बेहद खतरनाक हैं. हम इन्हें सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रहा हूं. ऑगरिंग (मलबे के अंदर रास्ता बनाना) के लिए बेहद सटीक इंजीनियरिंग की जरूरत होती है. 

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