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VVPAT पर्चियों की सौ फिसदी जांच से संबंधित याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है. SC ने इस मामले को लेकर सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने VVPAT पर्चियों के साथ EVM वोटों के 100% क्रॉस-वेरिफिकेशन का मांग वाली याचिका को खारिज कर दी है. इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि फैसले दो अलग-अलग है, लेकिन दोनो जजों के निष्कर्ष एक है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि हमने सभी याचिकाओ को खारिज किया है. साथ ही कोर्ट ने ये भी जोड़ा है कि चुनाव चिन्ह लोडिंग यूनिट को वोटिंग के बाद कम से कम 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
SC में कई संस्थाओं की तरफ से इसको लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थी. इनमें VVPAT की पर्चियों के शत-प्रतिशत मिलान करने की बात कही थी. इससे पहले भी इसे लेकर सुनवाई की गई थी. उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे लेकर निर्णय सुरक्षित रख लिया था. इस पीठ में जस्टिस दीपांकर दत्ता भी सदस्य थे. इससे पहले अदालत की ओर से बुधवार को EVM के कार्यों से जुड़े तकनीकी मामलों को समझने के लिए चुनाव आयोग के एक अधिकारी को बुलाया गया था.
क्या है VVPAT?
VVPAT असल में EVM मशीन से जुड़ी एक छोटे से बक्से के साइज की मशीन है. कोई भी वोटर जब EVM का बटन दबाता है तो VVPAT मशीन से एक कागज का पर्चा निकलता है, जिसमें वो देख सकता है कि उसने किसे वोट डाला है. शिशे के पीछे होने के बाद यह पर्ची मतदाता को अपने वोट का सत्यापण करने के लिए 7 सेकंड तक दिखाई देती है. ये पर्ची EVM से जुड़े बैलेट से निकलकर VVPAT बक्से में गिर जाती है. उस पर्ची में आपके द्वारा चुने गए उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और चुनाव चिह्न प्रिंटेड रहते हैं.
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