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माता-पिता ने भीख मांगी, भूख से तड़पकर हुई भाई-बहन की मौत, अब 128 साल की उम्र में योग गुरु शिवानंद बाबा ने त्यागा शरीर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दुनियाभर में प्रसिद्ध 128 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार रात निधन हो गया. उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी जिसके चलते तीन दिन पहले बीएचयू में भर्ती कराया गया था.

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माता-पिता ने भीख मांगी, भूख से तड़पकर हुई भाई-बहन की मौत, अब 128 साल की उम्र में योग गुरु शिवानंद बाबा ने त्यागा शरीर

Shivanand Baba death: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दुनियाभर में प्रसिद्ध 128 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा का शनिवार रात निधन हो गया. उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी जिसके चलते तीन दिन पहले बीएचयू में भर्ती कराया गया था. वहीं उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया.  उनका पार्थिक शरीर दुर्गाकुंड स्थित उनके आश्रम पर रखा गया है. रविवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा.

पद्मश्री से सम्मानित

योग गुरु शिवानंद बाबा को 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया था. वे योग साधना में निपुण थे. वे इस पुरस्कार को पाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे. बाबा दुर्गाकुंड के कबीर नगर में रहते थे. उनके अनुयायी विदेश तक हैं. उनके शिष्यों के मुताबिक, बाबा का अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा. 

कैसा था बाबा का जीवन

बाबा शिवानंद बहुत सादा जीवन जीते थे. संयमित भोजन करते थे. वहीं, काशी के दुर्गाकुंड स्थित कबीर नगर कॉलोनी में एक छोटे से फ्लैट में रहते थे. वे योग में निपुण थे. बाबा काशे के घाटों पर योग सिखाते थे. इतनी अधिक उम्र होने के बावजूद वे रोजाना सुबह योग का अभ्यास करते. पूरी दुनिया में योग के लिए प्रसिद्ध थे. शिवानंद बाबा के एक शिष्य के मुताबिक, वे फल या दूध नहीं बल्कि उबला हुआ भोजन खाया करते थे. नमक काफी कम खाते थे. रात को जौ का दलिया, आलू का चोखा और उबली सब्जी खाते थे. रात 9 बजे तक सो जाते थे.


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गरीबी ने छीन लिए अपने

शिवानंद बाबा का जन्म 18 अगस्त, 1896 में अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के ग्राम हरिपुर (थाना क्षेत्र बाहुबल) में एक गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके माता इतने गरीब थे कि भीख मांगकर जीवन चलाया. वहीं, उनके भाई-बहन जब भूख का दंश नहीं झेल पाए तो शरीर त्याग दिए. शिवानंद बाबा ने चार की उम्र में घर छोड़ दिया था और योग को ही अपने जीवन का हिस्सा बनाया. उन्होंने गुरु के सानिध्य में आध्यात्म की दीक्षा लेनी शुरू की. बाबा शिवानंद कभी स्कूल नहीं गए लेकिन फिर भी अच्छी अंग्रेजी बोल लेते थे.

 

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