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भारत
POCSO Act Cases Data: केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि साल 2020 में बच्चों से यौन अपराधों के 47 हज़ार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. इस मामले में सबसे आगे उत्तर प्रदेश रहा.
डीएनए हिंदी: बच्चों के खिलाफ यौन शोषण और दुष्कर्म के मामले (Rape Cases) में सख्त कानून और फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) का प्रावधान किए जाने के बावजूद इसमें कोई कमी नहीं आ रही है. केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में बताया है कि साल 2020 में प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (POCSO Act) के तहत 47 हज़ार से ज़्यादा केस दर्ज किए गए थे. इन मामलों में अगर सजा की बात की जाए तो 40 प्रतिशत से कम मामलों में ही दोषियों को सजा हो पाई है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद एस वेंकटेशन ने इसी के संबंध में लोकसभा में एक सवाल पूछा था. उन्हीं के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा को सदन में पेश किया.
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केस दर्ज करने और सजा दिलाने में नंबर एक पर यूपी
स्मृति ईरानी ने बताया कि साल 2020 के आखिर तक कुल 1,70,000 मामले पेंडिंग थे. साल 2018 की में यही संख्या 1,08,129 थी. इसमें से पॉक्सो के मामलों की संख्या सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश (6,898) में थी. इसके बाद महाराष्ट्र में 5,687 केस और मध्य प्रदेश में 5,648 केस दर्ज हुए. आरोप सिद्ध होने के मामले में भी 70.7 फीसदी के साथ उत्तर प्रदेश ही नंबर एक पर था.
वहीं, मणिपुर इकलौता ऐसा राज्य है जहां सजा की दर लगातार तीन सालों तक 100 फीसदी रही. इसके अलावा, चंडीगढ़ और लद्दाख में साल 2020 में पॉक्सो एक्ट का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ. गोवा और हिमाचल प्रदेश में सबसे कम सिर्फ़ पांच-पांच केस ही दर्ज किए.
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उन्होंने यह भी बताया कि पॉक्सो के मामलों को जल्दी से निपटाने के लिए 1,023 स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाने की योजना लाई जा रही हैं. स्मृति ईरानी के मुताबिक, साल 2020 में फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या 892 थी जबकि 2021 में यह संख्या 898 तक पहुंच गई.
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