श्रीनगर एयरपोर्ट पर मचा बवाल, आर्मी ऑफिसर ने की लात-घूंसों की बरसात, अस्पताल में भर्ती हुआ कर्मचारी
इस Magical Tea से रिप्लेस करें रोज की चाय, नसों से बाहर निकल जाएगा गंदा Cholesterol
कमांडो नहीं अब कॉकरोच लड़ेंगे जंग? यह देश बना रहा आर्मी की नई रेजीमेंट
सोने से जुड़ी ये गलती 172 तरह के रोग दे सकती है, नींद पर हुई ये रिसर्च पढ़कर खुली रह जाएंगी आंखें
सेहत
प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद, महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बदलावों का भी सामना करना पड़ता है. बच्चे के जन्म के बाद कई महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी गुजरती हैं. आइए जानें इससे डील करने का तरीका...
प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी (Pregnancy Care) के बाद, महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बदलावों का भी सामना करना पड़ता है. माना जाता है कि हर 5 में से एक महिला प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद किसी न किसी प्रकार के मेंटल हेल्थ संबंधित स्थिति से गुजरती है. ऐसी ही एक स्थिति है पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression).
आमतौर पर मां बनने के बाद हर महिला के अंदर (Pregnancy Care Tips) खुशी की लहर दौड़ रही होती है, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव और अधूरापन (Health Tips) महसूस होने लगता है.
पोस्टपार्टम डिप्रेशन
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डिलीवरी के बाद महिलाओं को शारीरिक और मानसिक बदलावों के साथ कई तरह से उतार चढाव का भी सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में उनकी जीवनशैली बिलकुल बदल जाती है और बच्चे की देखभाल, अन्य जिम्मेदारी के साथ खुद का ख्याल रखना मुश्किल हो जाता है. इस कारण महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं.
क्या हैं इसके लक्षण?
आमतौर पर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण महिलाओं में डिलीवरी के कई हफ़्तों या महीनों बाद तक नजर आ सकते हैं, इसलिए तुरंत इन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए...
कैसे करें इससे डील?
ऐसी स्थिति में महिलाओं को खुद कदम आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि अपने साथ अपने बच्चे के भविष्य की भी सुरक्षा कर सकें. इससे डील करने के लिए अपनी मां या फिर किसी अनुभवी करीबी इंसान से अपनी भावनाएं शेयर करें. क्योंकि ऐसी स्थिति में वे आपको इससे निपटना का अनुभवी तरीका बता सकते हैं. साथ ही पार्टनर से खुलकर बात करें और निसंकोच मदद लें. इसके लिए घर के काम, बच्चे की देखभाल के साथ अपनी सेल्फ केयर को ध्यान में रखते हुए अपने पार्टनर से जरूरी मदद लें.
काम के बोझ को हल्का करने के लिए केयरटेकर या फिर किसी हाउसहेल्प की मदद लें, जिससे आप अपने और अपने बच्चे के बारे में सोच सकें. पुराने खास दोस्तों से बात करें और ऐसे लोगों से बात न करें जो आपके ऊपर तरस खाने जैसी बातें करें. उन दोस्तों से बात करें जो आपको खूब हंसाते हैं. इसके अलावा ऐसी स्थिति में जब कुछ भी प्रभावी न लगे और स्थिति में कोई सुधार न आए, तो बिना देर किए साइकेट्रिस्ट से सलाह लें.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)
खबर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.