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सेहत
Weight Loss Diet: आज हम आपको ऐसे ही एक खास डाइट प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से मोटापा समेत अन्य कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है.
आजकल लोगों में मोटापा (Obesity) तेजी से बढ़ रहा है. खराब जीवनशैली, खानपान की गलत आदतें और कम फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण ये समस्या अब गंभीर बीमारी के रूप में उभर रही है. केवल मोटापा ही नहीं (Diet To Loss Weight), बल्कि इन कारणों की वजह से ही लोग डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, बीपी, यूरिक एसिड जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक खानपान, जीवनशैली और फिजिकल एक्टिविटी (Weight Loss Diet) पर ध्यान देकर 80 फीसदी बीमारियों को दूर रखा जा सकता है. आज हम आपको ऐसे ही एक खास डाइट प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से मोटापा समेत अन्य कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है.
वैज्ञानिकों ने माना वजन घटाने में कारगर है ये डाइट
वैज्ञानिकों का मानना है कि वजन घटाने में NIME Diet काफी ज्यादा फादेमंद होता है. इससे कई बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है. NIME Diet, जिसका मतलब है नॉन-इंडस्ट्रियलाइज्ड माइक्रोबायोम रिस्टोर (NIME- Non Industrialized Microbiome Restore) क्रोनिक बीमारियों का जोखिम कम होता है.
NIME Diet क्या है?
इस डाइट में इंसान के उस दौर के भोजन को शामिल किया गया, जब दुनिया में औद्योगिक क्रांति नहीं हुई थी. इससे पहले जो लोगों का भोजन था, कमोबेश उसी डाइट को कस्टमाइज्ड कर नया डाइट प्लान बनाया गया है. इस खास डाइट में ऐसी चीजों का समावेश किया गया जिससे इंफ्लामेशन पैदा होने वाले बक्टीरिया की कमी हो और इसे खत्म करने वाले बैक्टीरिया में वृद्धि हो.
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क्या हैं इसके फायदे?
इस डाइट से आंत के वातावरण में आमूल-चूल परिवर्तन होता है, जिससे आंतों की सफाई के साथ-साथ इसकी लाइनिंग में मजबूती आ सकती है और इससे गंभीर बीमारियों का जोखिम भी कम होता है. इस डाइट में प्लांट बेस्ड चीजों को शामिल किया गया है. हरी सब्जियां, हर तरह की दालें, साबुत अनाज और थोड़ी मात्रा में एनिमल प्रोटीन भी शामिल किया है.
इसके अलावा इस डाइट से डेयरी प्रोडक्ट यानी दूध, दही, मिठाइयां, मीट और गेहूं से बनी चीजों को बाहर रखा गया है. इसके अलावा इसमें फाइबर वाली चीजों को प्रति 1000 कैलोरी के लिए 22 ग्राम निर्धारित किया गया है.
क्या है एक्सपर्ट्स का कहना?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर पेट को सुकून मिलेगा तो इससे हर तरह की क्रोनिक बीमारियों से बचाव होगा. इंडस्ट्रियलाइजेशन ने हमारे खान-पान को बुरी तरह प्रभावित किया है और इसके कारण हमारे पेट का माइक्रोबायोम खराब हो गया. एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे पेट में अच्छी चीजों का वातावरण तैयार नहीं हो रहा है. इसलिए हमें खाने-पीने के मामले में पुराने ढर्रे पर लौटना चाहिए.
एक्सपर्ट्स के द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि जब इस डाइट को फॉलो किया गया तो वजन कम होने के साथ ही 17 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल कम हो गया. साथ ही 6 प्रतिशत ब्लड शुगर, 14 प्रतिशत सी-रिएक्टिव प्रोटीन कम हुआ. सी रिएक्टिव प्रोटीन अगर शरीर में ज्यादा रहता है तो इसके कारण हार्ट डिजीज और कैंसर का जोखिम बढ़ता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)
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