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राष्ट्रपति मुर्मू को 'Poor Lady' कहकर सोनिया गांधी ने 'बोरिंग' दिल्ली चुनाव को रोचक बना दिया है! 

राष्ट्रपति मुर्मू पर सोनिया का बयान कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाता है? इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन वर्तमान में बयान पर जो तेवर देश के पीएम मोदी के हैं, उसे देखकर इतना तो साफ़ हो गया है कि सोनिया का ये सेल्फ गोल कांग्रेस को बहुत भारी पड़ने वाला है.

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राष्ट्रपति मुर्मू को 'Poor Lady' कहकर सोनिया गांधी ने 'बोरिंग' दिल्ली चुनाव को रोचक बना दिया है! 

राजनीति अवसरवादिता का खेल है. माना यही जाता है कि, समय रहते जो मौके पर चौका जड़ देता है. बाजी उसी की होकर रह जाती है. अब इन बातों को दिल्ली स्थित द्वारका में आयोजित उस रैली से समझिये जिसमें वक्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे. दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर द्वारका की रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के एक शाही परिवार का एक सदस्‍य आदिवासी समुदाय की बेटी के भाषण को बोरिंग कहता है, उसे गरीब कहता है, उसे वो एक चीज़ कहता है. उन्‍हें पिछड़े तबके से बढ़ता कोई व्‍यक्ति पसंद नहीं आता. वे उसे कदम कदम पर अपमानित करते हैं. 

यहां पीएम मोदी आदिवासी समुदाय की जिस बेटी का जिक्र अपने भाषण के दौरान कर रहे थे, दरअसल वो देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं.  दरअसल संसद में शुक्रवार को बजट सत्र से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को लेकर मीडिया के सामने उपस्थित हुईं.

तीनों आपस में बात कर रहे थे. इसी दौरान सोनिया गांधी को देखते हुए राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के भाषण को 'बोरिंग' कह दिया. राहुल गांधी की इस बात के जवाब में सोनिया ने कहा कि इसमें कुछ नया नहीं था. पुरानी चीजों को रिपीट किया गया है.

प्रियंका गांधी से मुखातिब होते हुए सोनिया ने कहा कि राष्ट्रपति काफी थक गई थी. वो बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थीं. खराब बातें बोली पुअर लेडी. हम यह नहीं जानते कि ये बातें रैंडम थीं. या फिर इन्हें बोलने से पहले सोनिया गांधी ने इन पर विचार किया था. लेकिन अब बात का बतंगड़ बन गया है.  

पीएम मोदी समेत भाजपा के तमाम छोटे बड़े नेता सोनिया गांधी को भाषा की मर्यादा सीखा रहे हैं, नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं. देश की राजनीति को समझने वाले तमाम जानकार ऐसे हैं, जिनका मत है कि सनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के नाम पर उड़ता तीर उस वक़्त दौड़कर पकड़ा है जब दिल्ली की फिजा चुनावों के चलते यूं ही गर्म हैं. 

सोनिया गांधी के जरिये कांग्रेस द्वारा किया गया ये सेल्फ गोल उसके लिए कितना घातक होगा? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, चाहे वो भाजपा हो या एनडीए के तमाम अन्य नेता सब सोनिया गांधी के इस स्टेटमेंट के खिलाफ एकजुट हो गए हैं.

बयानों से लेकर X पर ट्वीट तक नेताओं द्वारा आम जनता को ये बताने के भरसक प्रयास किये जा रहे हैं कि कांग्रेस और सोनिया गांधी उस तबके की विरोधी हैं. जिन्हें ऊपर उठाने के लिए सरकार लाख जतन कर रही है. 

यूं तो राजनीति में किसी अन्य नेता पर छींटाकशी और बयानबाजी नई है. लेकिन इस मामले में सोनिया पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि उन्होंने स्वयं एक महिला उसपर भी कांग्रेस पार्टी की सर्वेसर्वा होकर होकर दूसरी महिला को अपमानित किया है. 

सोनिया गांधी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को Poor Lady बताना उनकी अपरिपक्‍वता इसलिए भी दर्शाता है, क्योंकि शायद वो इस बात को भूल गयीं कि ये ही वो मौके होते हैं, जब जीती हुई बाजी हाथ से निकल जाती है और व्यक्ति ठगा का ठगा रह जाता है. 

चूंकि सोनिया यहां आलोचना का शिकार हुई हैं. तो जिस तरह उन्होंने देश की राष्ट्रपति के लिए स्तरहीन भाषा का इस्तेमाल किया वो उन्हें इसलिए भी शोभा नहीं देता क्योंकि चाहे वो यूपीए 1 हो या फिर यूपीए 2 वो खुद एक बेहद महत्वपूर्ण पद पर रह चुकी हैं.  

कह सकते हैं कि भाजपा यक़ीनन सोनिया गांधी द्वारा दिए गए इस बयान को दलितों, आदिवासियों की अस्मिता का मुद्दा बनाकर दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की राह में रोड़े डालने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी. ध्यान रहे ये कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह के बयानों ने कांग्रेस को मुसीबतों में डाला है.

2007 के विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था. तब भी इस बयान को भाजपा ने अपने पंजे में दबोच लिया था जिसके बाद कांग्रेस पार्टी को भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था.

इसी तरह देश ने वो दौर भी देखा है जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार मणिशकर अय्यर ने प्रधानमंत्री को नीच कहा था. भाजपा और स्वयं पीएम मोदी ने अय्यर के इस बयान को जनता के सामने किस तरह पेश किया और कैसे इससे चुनावों को अपने नाम किया? बहुत ज्यादा कहने बताने की जरूरत नहीं है. 

बहरहाल चाहे इसे सोनिया गांधी की जुबान फिसलना कहें या फिर सोचा समझा बयान दिल्ली चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा ब्लंडर कर दिया है. 

सोनिया का ये बयान कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाता है? इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन वर्तमान में राष्ट्रपति मुर्मू के खिलाफ दिए गए बयान पर जो तेवर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं, उसे देखकर इतना तो साफ़ हो गया है कि सोनिया का ये सेल्फ गोल कांग्रेस को बहुत भारी पड़ने वाला है. 

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