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डीएनए मनी
Dr. Subhash Chandra Exclusive Interview: डॉ. सुभाष चंद्रा ने ZEEL के भविष्य और 'मास्टरप्लान' के बारे में बात करते हुए कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में किया गया ₹2,237 करोड़ का प्रमोटर निवेश है.
साल 2020 में ZEE को अपनी 44% प्रतिशित हिस्सेदारी को क्यों बेचना पड़ा? ZEEL का मर्जर क्यों टूटा और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के अतीत और भविष्य को लेकर कंपनी के संस्थापक और चेयरमैन एमरिटस डॉ. सुभाष चंद्रा ने खुलकर बात की. सुभाष चंद्रा ने Zee Business के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंने सोनी के साथ ZEEL मर्जर के विफल होने की असल वजह बताई. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी को लेकर उनका भविष्या का 'मास्टरप्लान' क्या होगा.
डॉ. सुभाष चंद्रा ने यह इंटरव्यू ऐसे समय दिया, जब ZEE के बोर्ड ने प्रमोटर्स द्वारा कंपनी में ₹2,237 करोड़ के भारी-भरकम निवेश को मंजूरी दी है. डॉ. चंद्रा ने स्पष्ट किया है कि यह डील सिर्फ एक निवेश नहीं है, बल्कि कंपनी और निवेशकों के प्रति उनकी गहरी जिम्मेदारी का प्रतीक है.
डॉ. चंद्रा से जब ZEE की कुछ हिस्सेदारी बेचने के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसका बड़ी ईमानदारी से जवाब दिया. उन्होंने बताया कि 2020 में ग्रुप पर आए संकट की वजह से ZEE की 44% हिस्सेदारी बेचनी पड़ी थी. जिसकी वजह से प्रमोटर्स का हिस्सा घटकर 4 प्रतिशत रह गया था. इस कदम से उन्होंने 40,000 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाया था. उन्होंने कहा कि 25 जनवरी 2019 को वे पहली बार फाइनेंशियल मार्केट में अपना कमिटमेंट पूरा करने में असफल रहे. इसे वे जीवन का सबसे कठिन समय मानते हैं.
SONY से मर्जर टूटने का सच क्या था?
सिंघवी को इंटरव्यू देते समय डॉ. चंद्रा ने SONY मर्जर टूटने की असल वजह भी बताई. उन्होंने कहा कि SEBI की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने SONY-ZEEL का मर्जर नहीं होने दिया. उन्होंने कहा कि इस मर्जर से शेयरधारकों को बहुत उम्मीद थी. निवेशकों ने ₹200/शेयर के भाव से इस डील में निवेश किया था. उनको लगता था कि SONY-ZEEL के मर्जर होने के बाद इसके शेयर ₹500/शेयर तक जाएगा. इससे उनको बड़ा मुनाफा होगा. लेकिन मर्जर न होने की वजह से शेयरहोल्डर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
उन्होंने कहा,, 'हमने SEBI चीफ के लगाए सभी आरोपों का सबूत के साथ जवाब दिया और बताया कि प्रमोटर ने ZEEL से पैसे नहीं निकाले. उन्होंने बताया कि 200 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे चुकाए गए थे. डॉ. चंद्रा ने यह भी साफ किया कि वे कंपनी में वापस नहीं आए हैं, सिर्फ एक सलाहकार की भूमिका में हैं.
शेयरहोल्डर्स का कैसे जीतेंगे भरोसा?
डॉ. चंद्रा ने ZEEL के भविष्य के 'मास्टरप्लान' के बारे में में बात करते हुए कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में किया गया ₹2,237 करोड़ का प्रमोटर निवेश है. उन्होंने कहा कि प्रमोटर की सिर्फ 4% हिस्सेदारी से शेयरहोल्डर असहज थे. माइनॉरिटी शेयरहोल्डर भी चाहते हैं कि प्रमोटर का हिस्सा बढ़े, क्योंकि उनका मानना है कि ZEE जैसे बड़े कारोबार को कोई और नहीं चला सकता." इस निवेश के बाद प्रमोटर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 18.39% हो जाएगी.
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