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कनाडा उपचुनाव में हार के बाद जस्टिन ट्रूडो से इस्तीफे की मांग, क्या है अब उनका सियासी भविष्य

इस हार से जस्टिन ट्रूडो के राजनीतिक भविष्य पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है. विपक्ष की तरफ से वहां फौरन संसदीय चुनाव कराने की मांग की गई है.

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कनाडा उपचुनाव में हार के बाद जस्टिन ट्रूडो से इस्तीफे की मांग, क्या है अब उनका सियासी भविष्य

Canada Prime Minister Justin Trudeau

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कनाडा (Canada) के पीएम जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) एक बड़ा सियासी झटका लगा है. दरअसल उनका वास्ता कनाडा के लिबरल पार्टी (Liberal Party) से है. वहां के उपचुनावों में लिबरल पार्टी को करारी शिकस्त मिली है. लिबरल पार्टी अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी कंजर्वेटिव पार्टी से बुरी तरह से हार गई है. इस हार से जस्टिन ट्रूडो के राजनीतिक भविष्य पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है. उनके लिए बेहद शर्मनाक स्थिति बन चुकी है. विपक्ष की तरफ से वहां फौरन संसदीय चुनाव कराने की मांग की गई है. कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे ने कहा है कि देश में तत्काल संसदीय चुनाव कराने की जरूरत है. साथ ही विपक्ष ने ट्रूडो से इस्तिफे की भी मांग की है. टोरंटो-सेंट पॉल सीट कनाडा की राजनीति का बेहद अहम सीट है. इसकी पहचान देश की सबसे बड़ी हॉट सीट के तौर पर होती है. इस सीट पर कंजर्वेटिव पार्टी के प्रत्याशी डॉन स्टीवर्ट ने फतेह हासिल की है. उन्होंने जस्टिन ट्रूडो की पार्टी के प्रत्याशी लेस्ली चर्च को 590 वोटों से हराया है. एक रोचक तथ्य ये भी है कि इस सीट पर न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर भारतीय मूल के अमृत परहार मैदान में उतरे हुए थे.


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क्या है जस्टिन ट्रूडो का सियासी भविष्य
टोरंटो-सेंट पॉल सीट कनाडा के ओंटारियो राज्य में मौजूद है. इसे जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी का गढ़ माना जाता है. 1993 से ही इस सीट पर लिबरल का कब्जा रहा है. कनाडा के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स की ये एक सीट है. हाउस ऑफ कॉमन्स  में कुल 338 सीटें मौजूद हैं. कनाडाई मीडिया में रिपोर्ट में जस्टिन ट्रूडो के सियासी भविष्य को लेकर आब सवाल उठाए जा रहे हैं. ये सीट 30 से ज्यादा सालों से लिबरल के कब्जे में थी. इस सीट पर पिछले 10 चुनावों से लगातार लिबरल जीत रहे थे. इस हार को जस्टिन ट्रूडो के राजनीतिक करियर के पतन के तौर पर देखा जा रहा है. कई विशेषज्ञों के मुताबिक अब ट्रूडो के दिन लद चुके हैं. हालांकि कई जानकारों का मानना है कि अभी ट्रूडो के पास प्रयाप्त समय है, वो फिर से वापसी कर सकते हैं, और अगले संसदीय चुनाव में फिर से बढ़त हासिल कर सकते हैं. 

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