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बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने के इस्तीफा देने की खबरें सामने आ रही हैं. कथित तौर पर मोहम्मद यूनुस ने सलाहकारों से कहा कि अगर वह सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान के साथ टकराव के बीच ठीक से काम नहीं कर सकते तो मुख्य सलाहकार होने का क्या मतलब है.
बांग्लादेश के अंतरिम नेता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस और देश के सशस्त्र बलों के प्रमुखों के बीच बंद कमरे में हुई बैठक को ढाका में तेज होते संघर्ष के रूप में वर्णित किया गया है. बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि यूनुस और सशस्त्र बलों के बीच एक "शीत युद्ध" शुरू हो गया है, जो मुख्य सलाहकार के भविष्य को खतरे में डाल सकता है. अगस्त 2024 में बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद मोहम्मद यूनुस ने कार्यभार संभाला था.
दरअसल, ऐसी खबरें हैं कि यूनुस पद छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, हालांकि, 24 मई को एक और कैबिनेट मीटिंग के बाद, योजना मंत्रालय के कार्यवाहक प्रमुख वहीदुद्दीन महमूद ने मीडिया को बताया कि यूनुस "हमारे साथ बने रहेंगे." बांग्लादेशी समाचार पत्र 'प्रथोम अलो' ने खबर दी कि यूनुस ने बैठक में सलाहकारों से कहा, "यदि वह ठीक से काम नहीं कर सकते तो मुख्य सलाहकार होने का क्या मतलब है?"
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इसके बाद, नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम, जो हाल ही तक यूनुस के मंत्रिमंडल का हिस्सा थे, ने उनके आधिकारिक आवास पर उनसे मुलाकात की. "हम सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबरें सुन रहे हैं. उन्होंने (यूनुस) कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं. उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते."
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद से बांग्लादेश की सेना देश पर नियंत्रण बनाए हुए है. बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान कानून और व्यवस्था के ध्वस्त होने के कारण उनकी निरंतर उपस्थिति आवश्यक हो गई थी, जिसमें देशव्यापी पुलिस हड़ताल भी शामिल थी, जिसके कारण कई स्टेशन खाली हो गए थे और सार्वजनिक व्यवस्था अव्यवस्थित हो गई थी. वहीं, पिछले सप्ताह बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने आग्रह किया था कि चुनाव इस वर्ष दिसंबर में कराए जाएं, साथ ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि लंबे समय तक नागरिक कार्यों के लिए सेना की तैनाती से देश की रक्षा में बाधा उत्पन्न हो सकती है.
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