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पाकिस्तान ने असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया है. लेकिन पाकिस्तान में फील्ड मार्शल के पद का इतिहास दागदार रहा है. असीम मुनीर से पहले पाकिस्तान में एक ही फील्ड मार्शल रहे हैं, तब पाकिस्तान में मिलिट्री लॉ आ गया था.
पाकिस्तान की सरकार ने अपने आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने का फैसला कर लिया है. लेकिन मुनीर का फील्ड मार्शल बनना शहबाज़ शरीफ सरकार के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भारत पर हमले की कोशिश को लेकर पाकिस्तान में खूब झूठ फैलाया गया है. इसकी वजह से पाकिस्तान में असीम मुनीर की ताकत और पॉपुलैरिटी बढ़ी हुई है. ऐसे में पाकिस्तान पर एक बार फिर से तख्तापलट की तलवार लटक रही है. पाकिस्तान का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जो भी सेना प्रमुख पावर और पॉपुलैरिटी हासिल कर लेता है, वो तख्तापलट करके सत्ता हथियाने में भी कामयाब हो जाता है.
पाकिस्तान में तख्तापलट का लंबा इतिहास रहा है. इस इतिहास में एक किस्सा 1958 का भी है. तब आर्मी चीफ अयूब खान ने मिलिट्री रूल लागू कर दिया था और खुद को बतौर फील्ड मार्शल प्रमोट कर दिया था.
1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद 11 साल में यानी 1958 तक वहां सात प्रधानमंत्री बदल गए. एक ने भी अपना टर्म पूरा नहीं किया. पाकिस्तान की सरकार से न पाकिस्तान संभल रहा था और न पूर्वी पाकिस्तान. सरकारों की नाकामी का फायदा सेना को हुआ. मोहम्मद अली जिन्ना के निधन और लियाकत अली खान की हत्या के बाद मुस्लिम लीग भी अपनी ज़मीन खोने लगा था.
साल 1956 में इसकंदर मिर्ज़ा पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति बने. 1956 से 1958 तक पाकिस्तान में चार बार प्रधानमंत्री बदले. कभी गठबंधन टूट जाता, कभी नो कॉन्फिडेंस तो कभी प्रधानमंत्री का अपनी ही पार्टी से कंट्रोल छिन जाता. इन सबके बीच इसकंदर मिर्ज़ा की प्रेसिडेंसी पर सवाल उठने लगे. उन्हें हटाने की बात चलने लगी. इसकंदर मिर्ज़ा पद पर बने रहना चाहते थे.7-8 अक्टूबर, 1958 की दरमियानी रात उन्होंने मार्शियल लॉ लागू कर दिया. आर्मी चीफ अयूब खान को मार्शियल लॉ का सुप्रीम कमांडर बनाया. इसकंदर मिर्ज़ा का मानना था कि पाकिस्तान के लिए लोकतंत्र सूटेबल नहीं है.
इसकंदर मिर्ज़ा को लग रहा था कि इस मार्शियल लॉ में अयूब खान उनके भरोसेमंद सिपहसालार होंगे, पर सुप्रीम कमांडर बन चुके अयूब खान इतने पर रुकने वाले नहीं थे. अयूब खान का मानना था कि जिसकी आर्मी है, उसको ही सत्ता में होना चाहिए. मार्शियल लॉ लागू होने के 20 दिन पूरे होने से पहले ही 26-27 अक्टूबर की दरमियानी रात अयूब खान ने प्रेसिडेंशियल पैलेस में सेना भेजी और इसकंदर मिर्ज़ा को निष्कासित करके इंग्लैंड भेज दिया.
इस तख्तापलट के बाद अयूब खान पाकिस्तान के पहले सैन्य शासक बन गए. राष्ट्रपति बनते ही अपनी जगह पक्की करने के लिए अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट कर दिया.
अब जब असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया गया है, तब इस बात की आशंका बढ़ गई है कि वो अपने सीनियर्स अयूब खान, जिया उल हक और परवेज़ मुशर्रफ के नक्श-ए-कदम पर चल सकते हैं.
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