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Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में श्राद्ध का पहला भाग क्यों निकाला जाता है अग्नि के लिए, यह है किस्सा

पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान श्राद्ध का सबसे पहला भाग अग्नि देवता के लिए निकाला जाता है. जानें क्या है इसके पीछे की वजह

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में श्राद्ध का पहला भाग क्यों निकाला जाता है अग्नि के लिए, यह है किस्सा

अत्रि मुनि ने महर्षि निमि को दिया को दिया था श्राद्ध का उपदेश

डीएनए हिंदीः पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण करना हिंदू धर्म का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. अश्विन माह में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) के दौरान श्राद्ध इत्यादि करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. माना जाता है द्वापर युग में महाभारत काल से ही श्राद्ध (Shradh) की परंपरा चली आ रही है. महाभारत में भीष्म पितामह और युधिष्ठर के बीच श्राद्ध  (Shradh 2022)  के संबंध में बातचीत का वर्णन मिलता है. इसके साथ ही त्रेता युग मे सीता द्वारा राजा दशरथ के पिंडदान की कथा भी प्रचलित है. 

अत्रि मुनि ने महर्षि निमि को दिया था श्राद्ध का उपदेश

शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल मे सर्वप्रथम अत्रि मुनि ने ऋषि निमि को श्राद्ध का उपदेश दिया था जिसके बाद ऋषि निमि ने श्राद्ध करना प्रारंभ किया. कहा जाता है इसके बाद अन्य महर्षियों और चारों वर्णों के लोगों ने भी श्राद्ध करना प्रारंभ कर दिया. 

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अग्नि देवता ने दूर की थी पितरों की समस्या 

महर्षियों और लोगों के द्वारा वर्षों तक पितरों को श्राद्ध के रूप में भोजन दिया जा रहा था जिससे पितर पूर्ण रूप से तृप्त हो गए लेकिन लगातार श्राद्ध का भोजन करने से पितरों को अजीर्ण रोग हो गया. पितृगण अपने इस समस्या को लेकर ब्रह्माजी के पास गए और इस रोग से मुक्ति पाने के लिए ब्रह्माजी से प्रार्थना करने लगे.

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ब्रह्माजी ने पितृगण की प्रार्थना सुनकर पितरों से कहा, 'आपकी इस समस्या का निवारण अग्नि देवता करेंगे.' अग्नि देवता ने पितरों की इस समस्या को दूर करने के लिए उनके साथ भोजन करने का वरदान दिया जिससे पितरों को अजीर्ण रोग से मुक्ति मिल गई. तब से श्राद्ध करने से पहले अग्नि देवता को सबसे पहले श्राद्ध का भाग दिया जाने लगा. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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