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Pitru Paksha 2022: 12 साल बाद बन रहा है पितृ पक्ष में अशुभ योग, इस दिन न करें पिंडदान

Shraddha Paksha Inauspicious Yoga :पितृ पक्ष पर इस बार 12 साल बाद एक ऐसा योग बन रहा जिसे अशुभ बन गया है.

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Pitru Paksha 2022: 12 साल बाद बन रहा है पितृ पक्ष में अशुभ योग, इस दिन न करें पिंडदान

12 साल बाद बन रहा है पितृ पक्ष में ये अशुभ योग, इस दिन न करें पिंडदान 

डीएनए हिंदीः भाद्रपद की पूर्णिमा से श्राद्ध यानी पितृ पक्ष शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक रहता है. इस बार शनिवार 10 सितंबर से रविवार 25 सितंबर तक मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अलग-अलग तिथियों पर पिंडदान और तर्पण किया जाता है. इस बार खास बात ये है की पितृ पक्ष में अशुभ योग भी है और 17 सितम्बर को कोई श्राद्ध नहीं किया जाएगा. 

ऐसा इसलिए क्योंकि पितृ पक्ष में तिथियों का घटना शुभ योग माना जाता है और तिथियों का बढ़ना शुभ योग होता है. ज्योतिष के अनुसार जब भी ऐसा होता है तो इससे अशांति का माहौल कायम होने की संभावना रहती है. अशुभ योग से देश में भी अस्थिरता आने का डर रहता है.   

यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2022 : इस दिन से शुरू होगा पितृ पक्ष, नोट कर लें श्राद्ध तिथि, पूजा विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट

10 सितंबर को पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध साथ में किया जाएगा. पंचांग भेद के कारण 16 सितंबर को सप्तमी श्राद्ध होने के बाद 18 सितंबर को अष्टमी का श्राद्ध किया जाएगा. तिथि क्षय होने के कारण 17 सितंबर को कोई श्राद्ध नहीं किया जाएगा.

कुतप काल में श्राद्ध करना श्रेष्ठ
ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान कुतप काल में श्राद्ध करना चाहिए. दिन का आठवां मुहूर्त कुतप काल का माना जाता है. ये समय सुबह 11:36 से 12:24 तक रहता है. इसे ही कुतप काल कहते हैं. इसी समय पितृगणों को निमित्त धूप डालकर, तर्पण, दान व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए. पितृ प्रसन्न होते हैं तो देवता भी अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं.

पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष की तिथियां
10 सितंबर शनिवार - पूर्णिमा का श्राद्ध/प्रतिपदा का श्राद्ध
11 सितंबर रविवार - द्वितीया का श्राद्ध
12 सितंबर सोमवार - तृतीया का श्राद्ध
13 सितंबर मंगलवार - चतुर्थी का श्राद्ध
14 सितंबर बुधवार - पंचमी का श्राद्ध
15 सितंबर गुरुवार - षष्ठी का श्राद्ध
16 सितंबर शुक्रवार - सप्तमी का श्राद्ध
17 सितंबर शनिवार- सप्तमी, अष्टमी का श्राद्ध
18 सितंबर रविवार - अष्टमी का श्राद्ध
19 सितंबर सोमवार - नवमी श्राद्ध, इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है.


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20 सितंबर मंगलवार - दशमी का श्राद्ध
21 सितंबर बुधवार - एकादशी का श्राद्ध
22 सितंबर गुरुवार - द्वादशी, सन्यासियों का श्राद्ध
23 सितंबर शुक्रवार - त्रयोदशी का श्राद्ध
24 सितंबर शनिवार - चतुर्दशी का श्राद्ध
25 सितंबर रविवार - अमावस्या का श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध, महालय श्राद्ध

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