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भारत
Minority Status in India: देश के 9 राज्यों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने के दावे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक आयोग से कहा है कि वह इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करे.
डीएनए हिंदी: धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर (Devakinandan Thakur) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की है कि देश के 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक (Hindu Minority) घोषित किया जाए. याचिका में कहा गया है कि राज्य स्तर पर हिंदुओं की संख्या का निर्धारण किए बिना ही सिर्फ़ पांच समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह अपनी रिपोर्ट पेश करे. साथ ही, याचिकाकर्ता देवकी नंदन ठाकुर से भी कोर्ट ने कहा है कि वह कोई ठोस उदाहरण पेश करें जिसमें किसी राज्य में कम आबादी होने के बावजूद हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा न दिया गया हो. इस मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अरविंद दत्तार पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह मामला पहले भी कोर्ट आ चुका है, जिस पर कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को विचार करने को कहा गया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए टालते हुए अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दे दिया.
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9 राज्यों का दिया गया है हवाला
दायर की गई याचिका में दूसरे समुदायों की तुलना में हिंदुओं की कम आबादी वाले 9 राज्यों का हवाला दिया गया है. इस याचिका के मुताबिक, लद्दाख में हिंदू आबादी 1%, मिज़ोरम में 2.75%, लक्षद्वीप में 2.77%, कश्मीर में 4%, नागालैंड में 8.74%, मेघालय में 11.52%, अरुणाचल प्रदेश में 29%, पंजाब में 38.49% और मणिपुर में 41.29% है.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि इन 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं लेकिन फिर भी वे अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते. उनका तर्क है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 30, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को यह अधिकार देता है कि वे अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोल सकें.
अल्पसंख्यकों का जिलेवार निर्धारण करने की मांग
याचिका में नेशनल कमीशन माइनॉरिटी एक्ट के सेक्शन 2 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. जिसके तहत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर छह समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित किया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इसके बजाये देश में जिलेवार अल्पसख्यकों का निर्धारण होना चाहिए.
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