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भारत
राजा राम | Jul 24, 2025, 11:11 PM IST
1.संसद के एक मिनट की कार्यवाही पर कितना आता है खर्चा?
भारत की संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, जहां देश की नीतियां बनती हैं और जनता से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा होती है. लेकिन संसद की कार्यवाही केवल बहस और बिलों तक सीमित नहीं होती, इसके पीछे बड़ा खर्च भी छिपा होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि संसद की सिर्फ एक मिनट की कार्यवाही पर सरकार को कितना खर्च करना पड़ता है? इसका जवाब जानकर आप जरूर चौंक जाएंगे.
2.मानसून सत्र की शुरुआत
इस बार का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान एक सप्ताह की छुट्टी को छोड़कर कुल 20 कार्यदिवस होंगे. यह सत्र बजट और शीतकालीन सत्र के बीच आता है और कई अहम विधेयकों और राजनीतिक मुद्दों को उठाने का समय होता है.
3.सत्र में क्या होने वाला है खास?
सरकार की ओर से इस सत्र में कुछ अहम बिल पेश किए जा सकते हैं, जिनमें आर्थिक सुधार, सामाजिक कल्याण और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं. वहीं, विपक्ष पहलगाम आतंकी हमला, ट्रंप का सीजफायर बयान, ऑपरेशन सिंदूर, अहमदाबाद विमान हादसा और बिहार के SIR अभियान जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है.
4.संसद कैसे काम करती है?
संसद की कार्यवाही सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलती है. दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक लंच ब्रेक होता है। यानी हर दिन औसतन छह घंटे काम होता है. त्योहार या अन्य कारणों से बीच-बीच में छुट्टियां भी हो सकती हैं.
5.कार्यवाही में कितना खर्च?
मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी आंकड़ों के अनुसार संसद की एक मिनट की कार्यवाही पर लगभग 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. इसका मतलब है कि एक घंटे में करीब 1.5 करोड़ रुपये और पूरे दिन की कार्यवाही पर 9 करोड़ रुपये का खर्च आता है.
6.हंगामे से होती है बर्बादी
अक्सर संसद में विपक्ष के विरोध या किसी विवाद के कारण हंगामा होता है, जिससे कार्यवाही रुक जाती है. ऐसे में जो समय बर्बाद होता है, उसका सीधा असर करोड़ों रुपये के खर्च पर पड़ता है. ये पैसा जनता के टैक्स से आता है, इसलिए इसकी बर्बादी चिंता की बात है.
7.खर्च पर उठते हैं सवाल
सवाल यह है कि जब संसद में हंगामा होता है, और बहस की बजाय नारेबाज़ी हावी होती है, तो क्या करोड़ों रुपये की यह लागत सही ठहराई जा सकती है? कई बार पूरा दिन हंगामे की भेंट चढ़ जाता है और जरूरी बिल लंबित रह जाते हैं.
8.संसद का समय है अनमोल
संसद का हर मिनट सिर्फ खर्च नहीं, देश की दिशा तय करने का समय होता है. इसलिए जरूरी है कि संसद में सार्थक बहस हो, ताकि समय और संसाधनों का सही उपयोग हो सके. यह न सिर्फ सांसदों की जिम्मेदारी है, बल्कि लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भी दर्शाता है.