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भारत
सुप्रीम कोर्ट ने महाबोधि मंदिर पर बौद्ध समुदाय की पूर्ण नियंत्रण की मांग से जुड़ी याचिका सुनने से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ता को पहले पटना हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है.
बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म का अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है. इसी जगह महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्त हुआ था. यह स्थल ना केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है. यह जगह यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है. हाल ही में बौद्ध समुदाय की ओर से मंदिर के पूर्ण प्रबंधन की मांग को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी, जिसमें बिहार सरकार के 1949 के कानून में संशोधन की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका सुनने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी है.
दरअसल, यह याचिका महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री और अंबेडकरवादी नेता सुलेखा कुंभारे ने दायर की थी. महाबोधि मंदिर प्रबंधन को पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला संविधान की धारा 226 के अंतर्गत आता है और इसके लिए याचिकाकर्ता को पहले पटना हाई कोर्ट जाना चाहिए.
इस याचिका में दावा किया गया था कि बोधगया स्थित महाबोधि महाविहार बौद्धों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है. 1949 से इसका प्रबंधन बिहार सरकार के अधीन है, जो बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 29 का हवाला दिया गया, जो नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता और संस्थान स्थापित करने का अधिकार देता है. सुनवाई के दौरान जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून में बदलाव की मांग कर रही हैं. ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की बजाय हाई कोर्ट सही मंच है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे पटना हाई कोर्ट में इस मुद्दे को उठाएं.
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महाबोधि मंदिर का प्रबंधन 1949 से बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी के हाथ में है, जिसकी अध्यक्षता गया के जिलाधिकारी करते हैं. इसमें हिंदू और बौद्ध समुदाय के चार-चार प्रतिनिधि शामिल होते हैं. बौद्ध समुदाय लंबे समय से मंदिर के पूर्ण नियंत्रण की मांग करता रहा है, जबकि हिंदू पक्ष इसे एक प्राचीन मंदिर मानकर अपना अधिकार जताता है. फिलहाल अब इस मामले में सबकी नजरें पटना हाईकोर्ट पर टिकी है, जहां अब इस केस की सुनवाई चलेगी.
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