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Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के बीच दोनों देशों के मित्र राष्ट्र भी अपने अलाई के पक्ष में सूचना और नैरेटिव स्थापित करने में लगे हुए हैं. इस तरह की रणनीतियों को ‘छठी पीढ़ी का युद्ध’ का हिस्सा माना जाता है.
6th Generation Warfare: ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है. हिजबुल्लाह कमांडर नसरुल्लाह की मौत के बाद ईरान की तरफ से इजरायल पर सैंकड़ों मिसाइलें दागी गईं. उसके बाद इजरायल की तरफ से भी पलटवार की बड़ी चेतावनी दी गई. मिडिल ईस्ट एक बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़ा है. इस बीच ईरान के समर्थन में कई मुस्लिम देशों का बयान आया है. इनमें मिस्र और तुर्की जैसे ताकतवर देश भी शामिल हैं. मिस्र ने दुनिया को आगाह किया है कि स्थिति नहीं संभली तो पूरी दुनिया शांति भंग हो सकती है और एक महायुद्ध का अगाज हो सकता है. साथ ही दोनों देशों के मित्र राष्ट्र भी अपने अलाई के पक्ष में सूचना और नैरेटिव स्थापित करने में लगे हुए हैं. इस तरह की रणनीतियों को ‘छठी पीढ़ी का युद्ध’ का हिस्सा माना जाता है.
किस तरह से बनाए जा रहे हैं माहौल
ईरान के समर्थन और इजरायल के विरोध में ये देश पूरी दुनिया में माहौल बना रहे हैं. वहीं इजरायल को भी अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल हो रहा है. पूरी दुनिया में मौजूद ताकतवर ज्यूस लॉबी इजरायल के पक्ष में माहौल बनाने में जुटी है. दोनों ही तरफ के घटक सहयोगी पक्ष अपने-अपने अलाई के लिए युद्ध में उतरे बिना युद्धस्तर पर सूचना और विमर्श खड़ा कर रहे हैं. इसे ही ‘छठी पीढ़ी का युद्ध’ कहा जाता है, जहां युद्ध हथियारों से नहीं बल्कि इन्फ़ॉर्मेशन और नारेटिव पर कंट्रोल करके लड़ा जाता है.
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6वीं पीढ़ी का युद्ध
छठी पीढ़ी के युद्ध को हाइब्रिड या ग्रे जोन वारफेयर भी कहते हैं. इसकी खासियत ये है कि इसमें युद्ध सीधे हथियारों से नहीं लड़ा जाता है. इस युद्ध में सूचानाओं का बड़ा अहम रोल होता है. इस युद्ध के अतर्गत एक देश अपने दुश्मन देश की जनता को भी अपने पक्ष में करने के तमाम प्रयास करता है, इसके लिए वो संगीत, फिल्में और कलाकारों का जमकर इस्तेमाल करता है. शॉफ्ट पॉवर का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही साइबर-भौतिक हमले भी बड़े स्तर पर किए जाते हैं. साथ ही इसके तहत हाइब्रिड संघर्ष, प्रॉक्सी वार, गलत सूचना फैलाने का कैंपेन भी शामिल है.
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