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Gyanvapi Survey: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी में सर्वे की अनुमति दी, 5 प्वाइंट में जानें अब तक क्या कुछ हुआ 

Allahabad High Court On Gyanvapi: इलाहाबाद हाई कोर्ट से गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर सर्वे पर फैसला आने वाला है. वैज्ञानिक तरीके से ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे कराए जाने के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर फैसला सुनाया जाएगा. जानें अब तक केस में क्या हुआ है. 

Gyanvapi Survey: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी में सर्वे की अनुमति दी, 5 प्वाइंट में जानें अब तक क्या कुछ हुआ 

Gyanvapi Case

डीएनए हिंदी: ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे (Gyanvapi Survey) कराने पर गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दे दिया है. उच्च न्यायालय ने सर्वे कराने की सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. सेशन कोर्ट ने परिसर में शिवलिंग और हिंदू धार्मिक चिह्न होने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वे की इजाजत दी थी. इसके खिलाफ मुस्लिम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने तत्काल सर्वे पर रोक लगाकर मामला हाई कोर्ट भेज दिया था. मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में दलील दी है कि अगर ASI सर्वे से मस्जिद परिसर को नुकसान पहुंचेगा. एएसआई ने हलफनामा देकर कहा कि वैज्ञानिक तरीके से जांच में कोई नुकसान नहीं होगा. इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है. जानें अब तक मामले में क्या कुछ हुआ है. 

ज्ञानवापी परिसर में होगा सर्वे: हाई कोर्ट 
ज्ञानवापी सर्वे पर के खिलाफ मस्जिद कमिटी की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला दे दिया है. कोर्ट ने परिसर को बिना नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक सर्वे की अनुमति दी है. पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों की दलील पूरी होने के बाद चीफ जस्टिस की कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर तत्काल रोक लगाते हुए मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट को सौंप दिया था. 

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी विवाद: क्या होता है ASI सर्वे, कैसे पता चलती है सालों पुरानी हकीकत

इन वकीलों ने पेश की दलीलें
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय मिश्र, केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलीसीटर जनरल शशि प्रकाश सिंह और एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी ने तर्क पेश किए.

सेशन कोर्ट दे दिया था सर्वे का आदेश 
वाराणसी सेशन कोर्ट में दो महिलाओं ने याचिका दाखिल कर दावा किया था कि मस्जिद परिसर के वुजूखाने वाले हिस्से में शिवलिंग है. याचिकाकर्ताओं ने इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर सेशन कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था. एएसआई को दिए सर्वे के आदेश में कहा गया था कि परिसर की मूल इमारत के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए लेकिन जरूरत पर बिना इमारत को नुकसान पहुंचाए खुदाई की जा सकती है. 

यह भी पढ़ें: Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी में नहीं होगी कोई खुदाई, ASI के सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक

मुस्लिम पक्ष ने की थी सुप्रीम कोर्ट से अपील 
इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने अपने दावे में कहा था कि परिसर में अगर खुदाई की जाती है तो इससे मस्जिद के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचेगा. सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को हाई कोर्ट के पास भेज दिया था और तत्काल सर्वे पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट में दोनों पक्षों की दलील पूरी हो चुकी है और अब फैसला सुरक्षित है जिसके आज आने की उम्मीद है. 

सियासी संग्राम भी शुरू 
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर सियासी संग्राम शुरू हो गया है. पहले सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हिंदू मंदिर बौद्ध मठ को तोड़कर बनाए गए हैं. कुछ दिन पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुस्लिम पक्ष से इस संबंध में ऐतिहासिक गलती हुई है. ज्ञानवापी की दीवारें चीख-चीखकर कह रही हैं हि कि वहां मंदिर है, त्रिशूल है, ज्योतिर्लिंग है. योगी पर पलटवार करते हुए असदु्द्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बीजेपी का एक और चुनावी स्टंट है.

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