Twitter
Advertisement

जब बेटी बनी 'द्रोणाचार्य' और मां ने साथ मिलकर पास की NEET की परीक्षा, संघर्ष और समर्पण की मिसाल है यह कहानी

IND vs ENG: टीम इंडिया की जीत पक्की! ओवल टेस्ट में इंग्लैंड के लिए रन चेज काफी मुश्किल, देखें आंकड़े

श्रीनगर एयरपोर्ट पर मचा बवाल, आर्मी ऑफिसर ने की लात-घूंसों की बरसात, अस्पताल में भर्ती हुआ कर्मचारी

Aniruddhacharya के पिता की योगी-मोदी से इंसाफ की गुहार! कहा बेटे के आश्रम में मेरे साथ गलत हो रहा, जानिए क्या है मामला

दिल्ली के ऊपर नहीं उड़ेंगे पैरा-ग्लाइडर, ड्रोन जैसै कई और एयरक्रॉफ्ट्स, जानें दिल्ली पुलिस ने क्यों किया प्रतिबंधित

इस Magical Tea से रिप्लेस करें रोज की चाय, नसों से बाहर निकल जाएगा गंदा Cholesterol

DU UG Admission 2025: दिल्ली यूनिवर्सिटी राउंड 3 अपग्रेड, प्रेफरेंस रीऑर्डर विंडो आज होगी बंद, देखें डिटेल्स

क्या देश छोड़ने की तैयारी में हैं एक्शन हीरो अक्षय कुमार? 7 महीने एक्टर ने बेच दीं मुंबई की 8 प्रॉपर्टीज

जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए किशोर कुमार को आया था फोन, लेकिन इस एक शर्त ने पूरा खेल बिगाड़ दिया

Takotsubo Cardiomyopathy: कब दिल टूटने पर चली जाती है जान? जानें क्या है ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी बीमारी

'क्या अन्य कैदियों को भी दिया ऐसा मौका?' बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा, 'क्या 14 साल के बाद उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी दोषियों को छूट का लाभ दिया जा रहा है?'

'क्या अन्य कैदियों को भी दिया ऐसा मौका?' बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Bilkis Bano Gangrape Case

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात सरकार से दोषियों को 'चुनिंदा' छूट नीति का लाभ देने पर सवाल उठाया और कहा कि तब तो सुधार और समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर हर कैदी को दिया जाना चाहिए. जस्टिस बी.वी. नागरत्‍ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 2002 में राज्य में हुए गोधरा दंगे के दौरान गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'छूट की नीति चुनिंदा तरीके से क्यों लागू की जा रही है? तब तो पुनः संगठित होने और सुधार का अवसर हर कैदी को दिया जाना चाहिए, न कि केवल कुछ चुनिंदा दोषियों को.' पीठ ने गुजरात सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू से पूछा, क्या 14 साल के बाद उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी दोषियों को छूट का लाभ दिया जा रहा है? इसके जवाब में राजू ने तर्क दिया कि 11 दोषी सुधार के अवसर के हकदार थे और सजा माफी की मांग करने वाले उनके आवेदनों पर सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले के अनुसार विचार किया गया था. उस फैसले में शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को 1992 की नीति में छूट के संदर्भ में 2 महीने के भीतर समयपूर्व रिहाई के आवेदन पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें- MP-छत्तीसगढ़ के लिए BJP ने जारी की पहली लिस्ट, देखें किसे मिला टिकट

गुजरात सरकार की तरफ से दी गई ये दलील
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि छूट के खिलाफ महाराष्ट्र में सत्र न्यायाधीश द्वारा दी गई राय प्रासंगिक नहीं होगी, क्योंकि इसे योग्यता में प्रवेश किए बिना यांत्रिक रूप से पारित किया गया था. राजू ने कहा, 'उन्होंने यह राय इसलिए दी, क्योंकि दोषी (महाराष्ट्र की छूट) नीति में फिट नहीं बैठते थे.' इसके अलावा, एएसजी ने कहा कि सजा सुनाते समय ट्रायल जज ने मौत की सजा नहीं दी या यह निर्दिष्ट नहीं किया कि आजीवन कारावास बिना छूट के चलेगा.

केंद्र और गुजरात सरकार और 11 दोषियों ने सीपीआई-एम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की आसमां शफीक शेख और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि एक बार पीड़िता ने इन सभी से खुद संपर्क किया था. किसी आपराधिक मामले में दूसरों को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. पिछले हफ्ते तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि बिलकिस बानो के खिलाफ किया गया अपराध धर्म के आधार पर किया गया, जो मानवता के खिलाफ अपराध था.

24 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई चल रही है, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका भी शामिल है. शीर्ष अदालत ने केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों के वकीलों को अपनी दलीलें आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 अगस्त तय की. मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी और कहा था कि इन दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement