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भारत
Bihar News: बिहार में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसको लेकर राज्य के भीतर कई तरह के सियासी समीकरण बनते और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. होली और रमजान पर बयानबाजी हो रही है. बयानों का मकसद अपने अपने वोट बैंक को सुरक्षित करना है. बाबा बागेश्वर और रविशंकर प्रवचन के लिए बिहार पहुंचे थे. पढ़िए रिपोर्ट.
Bihar News: इस साल बिहार में लोकसभा के चुनाव होने हैं. इसको लेकर सभी पार्टियों की ओर से जमकर तैयारियां हो रही है. बयानबाजियों का दौर अपने चरम पर है. इसी क्रम में दरभंगा की मेयर और जदयू नेता होली और जुम्मे की नमाज को लेकर एक विवादित बयान दिया है. इसको लेकर सियासी घमासान छाया हुआ है. दरअसल दरभंगा की मेयर अंजुम आरा की ओर से विवादित बयान देते हुए कहा गया था कि 'जुमा का वक्त नहीं तब्दील किया जा सकता है. इसलिए दो घंटे के वास्ते होली पर ब्रेक लगाएं. हालांकि, बाद में मेयर की ओर से इसको लेकर माफी मांग ली गई है. लकिन इसको लेकर बयानबाजी जारी है. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने अंजुम आरा के स्टेटमेंट को लेकर बड़ी अपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि 'अंजुम आरा आग लगाना चाहती है. सेकुलरिज्म के नाम पर इस्लामीकरण और जिहादीकरण यहां नहीं चलने वाला है.'
बिहार में धर्म गुरुओं का बढ़ा आवगमन
सियासी बयानबाजियों के अलावा बिहार में धर्म गुरुओं का भी आवगमन बढ़ गया है. पहले राज्य में बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री का आगमन हुआ. उसके बाद मार्च के पहले हफ्ते श्री श्री रविशंकर बिहार दौरे पर आए. 7 मार्च को उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े लोगों के साथ संवाद किया. बिहार चुनावी साल में प्रवेश कर चुका है. ऐसे में इन धर्मगुरुओं का लगातार राज्य में आने को एक अहम घटना के तर पर देखा जा रहा है. चुनावों के दौरान बीजेपी चाहेगी कि मतों का धार्मिक धुव्रीकरण हो, क्योंकि ऐसी स्थिति में बीजेपी को शुरू से ही फायदा होता रहा है. वहीं बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी दल राजद को हमेशा जातीगत धुव्रीकरण का लाभ हुआ है. ऐसे में धार्मिक शख्सियतों के राज्य में आने की कामयाबी बीजेपी को मिल सकती है.
पार्टियों के भीतर भी परिवर्तन की सुगबुगाहट
बिहार में चुनाव वाले साल पार्टियों के भीतर भी बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जदयू में नितिश कुमार के बेटे निशांत कुमार को प्रमोट करने की भी बात सामने आ रही है. वहीं दूसरी ओर राजद के भीतर भी तेजस्वी यादव की ओर से कई नेताओं को मौका देने की बात हो रही है. राजद में अब्दुल बारी सिद्दकी का कद लगातार बढ़ाया जा रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी पार्टी भी बिहार क चुनाव में इस बार अपनी पूरी ताकत अजमा लेना चाहती है. बिहार के भातर पिछले चार दशक में कांग्रेस लगातार कमजोर होती गई है. एक समय था कि जब राज्य में पार्टी का एक तरफा राज चलता था. लेकिन आज पार्टी की गिनती राज्य की छोटी पार्टी के तौर पर होती है. कांग्रेस करीब पिछले तीन दशक से राज्य में आरजेडी की पिछलग्गू के तौर पर ही स्थापित हुई है. इस बार कांग्रेस की ओर से अपने युवा नेता कन्हैया कुमार पर पूरा दारोमदार जताया जा रहा है. उन्हें चुनावी महासमर में उतारने की पूरी प्लानिंग तैयार कर ली गई है.
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