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Assam Namaz Break: 'क्या कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा बंद करेंगे?' अपनों ने ही पूछा CM सरमा से ये बड़ा सवाल

दरअसल एनडीए के घटक दल जेडीयू ने इस फैसले को लेकर असम के सीएम हिमंत बिश्व सरमा की आलोचना की है. वहीं असम सीएम की तरफ से अपने इस फैसले का बचाव किया गया है.

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Assam Namaz Break: 'क्या कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा बंद करेंगे?' अपनों ने ही पूछा CM सरमा से ये बड़ा सवाल
Chief Minister Himanta Biswa Sarma

 

असम विधानसभा में जुमे की नमाज को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है. ये फैसला जुमे की नमाज के लिए मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को समाप्त करने को लेकर है. नमाज ब्रेक के इस फैसले को लेकर जबरदस्त सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. असम सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्षी पार्टियों ने जमकर विरोध जताया है. साथ ही बीजेपी के सहयोगी पार्टी भी इस फैसले को लेकर विरोध दर्ज करा रही है. दरअसल एनडीए के घटक दल जेडीयू और लोजपा ने इस फैसले को लेकर असम के सीएम हिमंत बिश्व सरमा की आलोचना की है. वहीं असम सीएम की तरफ से अपने इस फैसले का बचाव किया गया है.

'क्या कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा बंद करेंगे'
इस मुद्दे को लेकर जेडीयू नेता नीरज कुमार की तरफ से एक बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा है कि असम विधानसभा का निर्णय संवैधानिक मानकों के विपरित है. उन्होंने आगे असम सीएम से प्रश्न किया कि क्या वो असम के कामाख्या मंदिर में प्रचलित बलि प्रथा को समाप्त कर सकते हैं? नीरज कुमार ने बताया कि 'मैं असम के सीएम से सवाल करता हूं कि आप जुमे की नमाज के ब्रेक को खत्म करें और ये कहें कि इससे कार्य की संभावना में इजाफा होगा, वहीं कामाख्या मंदिर के दरवाजे बलि देने अनुष्ठान के समय खुलते हैं तो क्या आप 'बलि प्रथा' को समाप्त कर सकते हैं?'


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JDU के बाद LJP ने भी जताया विरोध
आगे नीरज कुमार ने कहा कि 'किसी को भी धार्मिक मान्यताओं पर रोक लगाने का हक नहीं है.' दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली लोजपा के नेता राजू तिवारी की तरफ से भी असम सरकार के इस निर्णय की आलोचना की गई है. उन्होंने कथित रूप से कहा कि हम सबको सभी के धार्मिक रिवाजों की आजादी का सम्मान करना चाहिए.

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