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जब घर-घर की फेवरिट बहू 'तुलसी' ने राजनीति में गाड़े झंडे, कैसा रहा स्मृति ईरानी का पॉलिटिकल सफर

स्मृति ईरानी से आपकी राजनीतिक असहमति हो सकती है, लेकिन इस बात में दो राय नहीं है कि उन्होंने जो किया उसमें खुद को पूरी तरह झोंक दिया. चाहे वो एक्टिंग हो, चाहे राजनीति. वरना किसने सोचा था कि अमेठी से कोई राहुल गांधी को हरा सकता है?

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जब घर-घर की फेवरिट बहू 'तुलसी' ने राजनीति में गाड़े झंडे, कैसा रहा स्मृति ईरानी का पॉलिटिकल सफर

इंडियन टीवी की फेवरिट बहू तुलसी की टीवी पर वापसी हो रही है. ये वापसी इसलिए खास है कि 10 साल तक केंद्र सरकार में मंत्री रहीं स्मृति ईरानी इस किरदार के साथ टीवी पर लौट रही हैं. ये एक तरह से स्मृति की घर वापसी है. जिस माध्यम से उन्होंने देश के हर घर में लोगों को दिलों में जगह बनाई वो उस माध्यम में वापसी कर रही हैं. ये उन करोड़ों फैन्स के लिए एक रिडेम्प्शन है जिन्होंने तुलसी को प्यार किया, उसे सराहा, उससे सीखा और कभी-कभी उससे नफरत भी किया.

स्मृति ईरानी से आपकी राजनीतिक असहमति हो सकती है, लेकिन इस बात में दो राय नहीं है कि उन्होंने जो किया उसमें खुद को पूरी तरह झोंक दिया. चाहे वो एक्टिंग हो, चाहे राजनीति. वरना किसने सोचा था कि अमेठी से कोई राहुल गांधी को हरा सकता है? अब जब स्मृति टीवी पर लौट रही हैं तो चलिए एक नज़र उनकी पॉलिटिकल जर्नी पर डालते हैं.

जब कपिल सिब्बल से बुरी तरह हारीं थी स्मृति

साल 2003 में जब स्मृति ईरानी ने राजनीति में एंट्री ली तो वह टीवी पर एक बड़ा नाम बन चुकी थीं. लेकिन 'तुलसी वीरानी' के लिए राजनीति इतनी आसान नहीं थी. साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर नई दिल्ली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. उनके सामने खड़े थे कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल. वह 80 हजार वोटों से हार गई थीं. 


ये भी पढ़ें- क्योंकि... के एक एपिसोड के लिए स्मृति ईरानी को कितने पैसे मिलेंगे? पूरे 800 गुना अप्रेज़ल हुआ है


10 साल बाद दूसरी बड़ी हार

साल 2014 में स्मृति ईरानी एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़ने उतरीं. इस बार उन्होंने अमेठी सीट से चुनाव लड़ा. यह सीट गांधी परिवार के पारंपरिक सीट थी. इस सीट पर संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव जीतते आए थे. 1998 में एक साल छोड़ दें तो 1980 से यह सीट कांग्रेस की सीट बनी हुई थी. राहुल गांधी 2004 से दो बार इस सीट से सांसद रह चुके थे और तीसरी बार दावा ठोक रहे थे. राहुल गांधी ने 1 लाख से ज्यादा वोटों के मार्जिन से स्मृति ईरानी को हरा दिया. 

जब स्मृति ईरानी ने 'तबीयत से उछाला पत्थर...'

2014 की अमेठी की हार बड़ी हार थी लेकिन इसने स्मृति ईरानी को हराया नहीं, उनका इरादा और ज्यादा मजबूत कर दिया. रिपोर्ट्स बताती हैं कि मंत्री पद पर रहते हुए भी स्मृति ने अमेठी को नहीं छोड़ा. वो वहां अपनी ज़मीन मजबूत करने में जुटी रहीं. साल 2019 के चुनाव में उन्होंने 55 हजार से ज्यादा वोटों के मार्जिन से राहुल गांधी को पटखनी दी. ये स्मृति ईरानी की मेहनत की जीत थी, जीत दर्ज करते ही उन्होंने लिखा, 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.' 

10 साल तक केंद्र सरकार में रहीं मंत्री

साल 2014 से 2024 तक स्मृति ईरानी केंद्र सरकार में मंत्री रहीं. 10 साल में उन्होंने अलग-अलग मंत्रालय संभाले. इनमें मानव संसाधन मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय शामिल हैं. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से अमेठी में हार का सामना करना पड़ा.

हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने कहा था, 'मीडिया और पॉलिटिक्स में 25 साल तक टिके रहना एक ब्लेसिंग है. क्योंकि ये दोनों ही बेहद कॉम्पिटीटिव फील्ड्स हैं और दोनों में सफल हो पाना सबके बस में नहीं है. खासकर तब जब आप एक महिला हैं और लगातार ढाई दशक तक अपने गेम में टॉप पर बने हुए हैं.' स्मृति ने कहा था कि वो पार्ट टाइम एक्टर हैं और फुल टाइम पॉलिटिशियन हैं.

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