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8,00,000 से ज्यादा मौत, 4.2 अरब डॉलर का नुकसान, क्या आपदाओं ने सबसे ज्यादा भारत को किया है बरबाद?

India in Climate Risk Index: भारत उन 10 देशों में शामिल है, जो साल 1993 से 2022 के बीच भीषण मौसमी आपदाओं से दुनिया में सबसे ज्यादा पीड़ित रहे हैं.

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8,00,000 से ज्यादा मौत, 4.2 अरब डॉलर का नुकसान, क्या आपदाओं ने सबसे ज्यादा भारत को किया है बरबाद?

India in Climate Risk Index: यदि आप अचानक आ रही बाढ़, गर्म इलाकों में बर्फ पड़ने जैसी मौसमी आपदाओं से चिंतित हैं तो यह चिंता और ज्यादा बढ़ने जा रही है. भारत दुनिया के उन 10 देशों में शामिल हैं, जो पिछले 30 साल के दौरान भीषण मौसमी आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. जलवायु की निगरानी करने वाले स्वतंत्र संगठन जर्मनवॉच ने ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (Global Climate Risk Index 2025) पेश किया है, जिसमें साल 1993 से 2022 के बीच की भीषण मौसमी आपदाओं के आधार पर भारत को छठा स्थान दिया गया है. भारत से आगे डोमिनिका, चीन, होंडुरस, म्यांमार और इटली को रखा गया है. भारत से नीचे इन 10 देशों में ग्रीस, स्पेन, वानातू और फिलिपींस शामिल हैं. पिछले 30 साल के दौरान दुनिया में मौसमी आपदाओं के कारण 8,00,000 लोगों की मौत हुई है, जबकि 4.2 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. रिस्क इंडेक्स के मुताबिक, इनमें से 10% मौत भारत में हुई हैं, जबकि संपत्ति को हुए नुकसान में भी भारत की 4.3% हिस्सेदारी रही है.

बाढ़, हीटवेव और चक्रवात बने भारत की परेशानी
बर्लिन स्थित जर्मनवॉच संगठन के मुताबिक, पिछले 30 साल के दौरान भारत के लिए बाढ़, हीटवेव और चक्रवात ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. बाढ़ के सबसे खतरनाक असर 1993, 1998 और 2013 में देखे गए हैं, जबकि 2002, 2003 और 2015 में भयानक हीटवेव ने लोगों की जान ली है. भारत ने पिछले 30 साल के दौरान 400 से ज्यादा भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है, जिसमें 80,000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि 180 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है.

भारत में सबसे भयानक मौसमी आपदाएं

  • 1998 में गुजरात में आया चक्रवात
  • 1999 में ओडिशा में आया चक्रवात
  • 1999 में आया हुदहुद चक्रवात
  • 2014 में आया एम्फन चक्रवात
  • 2013 में केदारनाथ समेत पूरे उत्तराखंड में आई बाढ़

इसके अलावा 1998, 2002, 2003 और 2015 में भयानक हीटवेव भी शामिल है, जिसने 50 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तीखी तेजी से लोगों को झुलसाया था. 

IMF डाटा के आधार पर किया गया है विश्लेषण
क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स इस बात का विश्लेषण करता है कि जलवायु से संबंधित भयंकर मौसमी आपदाएं किस तरह विभिन्न देशों को प्रभावित करती हैं. साथ ही इस इंडेक्स में देशों पर पड़ने वाले आर्थिक और मानवीय प्रभावों को भी कैटेगराइज्ड किया गया है.  इसके लिए इंटरनेशनल डिजास्टर डाटाबेस (Em-dat) के एक्स्ट्रीम वेदर इवेंट डाटा और इंटरनेशनल मॉनिट्री फंड (IMF) के सोश्यो-इकोनॉमिक डाटा का उपयोग किया गया है. 

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