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'मुझे हल्के में मत लेना' तब बोले शिंदे, जब मोदी पिला रहे थे शरद पवार को पानी, क्यों मिल रहे महाराष्ट्र में 'खेला' के संकेत?

Eknath Shinde Silent Warning: महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित) के महायुति गठबंधन की सरकार में लगातार दरार दिख रही हैं. खासतौर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच कोल्ड वॉर चल रही है. ऐसे में शिंदे ने जो बयान दिया है वो बेहद अहम है.

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'मुझे हल्के में मत लेना' तब बोले शिंदे, जब मोदी पिला रहे थे शरद पवार को पानी, क्यों मिल रहे महाराष्ट्र में 'खेला' के संकेत?

Eknath Shinde Silent Warning: महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक संकट पैदा होने के आसार अब साफ दिखने लगे हैं. पिछले कई दिन से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से दूरियां बनाते दिख रहे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को एक बार फिर इसका इशारा कर दिया. शिंदे ने मीडिया से बातचीत में कहा,'मुझे हल्के में मत लेना, तांगा पलट दूंगा.' शिंदे का यह बयान उस समय आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान NCP अध्यक्ष शरद पवार के साथ मंच साझा कर रहे थे. शरद पवार भाजपा के कट्टर विरोधी विपक्षी नेता हैं. इसके बावजूद मंच पर पीएम मोदी उनका हाथ पकड़कर खुद सीट पर बैठाते और अपने हाथ से पीने के लिए पानी का गिलास देते दिखाई दिए. इससे यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या महाराष्ट्र में फिर से 'खेला' होने जा रहा है?

चलिए 5 पॉइंट्स में आपको बताते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय क्या चल रहा है-

1. पहले जान लीजिए शिंदे ने क्या कहा है
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री व शिवसेना (शिंदे) के मुखिया एकनाथ शिंदे शुक्रवार को नागपुर में थे. उन्होंने यहां मीडिया से कहा,'मैं सामान्य पार्टी कार्यकर्ता हूं, लेकिन मैंने पहले भी कहा है कि मैं बाला साहेब और दिघे साहब का कार्यकर्ताह हूं, मुझे हल्के में मत लीजिए.' इसके बाद शिंदे ने जो अगली लाइन कही है, उसे शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे से लेकर भाजपा नेता व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक के लिए चेतावनी माना जा रहा है. शिंदे ने कहा,'मेरी ये बात सभी को समझ लेनी चाहिए. 2022 में मुझे हल्के में लेने पर मैंने तांगा (सरकार) पलट दिया था. फिर हम आम लोगों की इच्छा वाली सरकार लाए. मैंने (विधानसभा में अपने पहले भाषण का हवाला देते हुए) चुनाव में 200 से ज्यादा सीट मिलने की भविष्यवाणी की थी और हमारे गठबंधन की 232 सीट आई हैं. मुझे इसलिए हल्के में मत लीजिए. जो लोग इस इशारे को समझना चाहें, वो समझें. मैं अपना काम करता रहूंगा.'

2. पीएम मोदी ने शरद पवार का किया कैसा स्वागत?
शरद पवार (Sharad Pawar) को कट्टर भाजपा विरोधी नेता माना जाता है, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की करारी हार के बाद उनके सुर ढीले दिखाई दिए हैं. कई बार यह अफवाह भी उड़ चुकी है कि शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार (महाराष्ट्र के दूसरे डिप्टी सीएम) के साथ सुलह करके भाजपा (BJP) के साथ जुड़ सकते हैं. ऐसे में शुक्रवार को जब मराठा साहित्य सम्मेलन के मंच पर पीएम नरेंद्र मोदी और शरद पवार साथ थे तो अनूठा नजारा देखने को मिला. पीएम मोदी ने मंच पर शरद पवार को बैठाने के लिए कुर्सी खींची. इसके बाद जब दोनों नेता बैठ गए तो पीएम मोदी ने पानी का गिलास भरकर शरद पवार को दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर बेहद वायरल भी हो गया है. इसे दोनों दलों के बीच बदलते रिश्तों का संकेत भी माना जा रहा है.

3. फडणवीस से पूरी तरह दूरी बना रखी है शिंदे ने
भाजपा और शिवसेना (शिंदे) के गठबंधन की पिछली सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे. विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को अपने दम पर बहुमत मिला तो स्थिति पलट गई. इस बार फडणवीस सीएम और शिंदे डिप्टी सीएम बने हैं. हालांकि इसके बाद से ही कहा जा रहा है कि शिंदे ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया है. उनके और फडणवीस के बीच लगातार तनातनी की खबरें सामने आ रही हैं. शिंदे कई बार फडणवीस की तरफ से बुलाई गई अहम बैठकों और सरकारी कार्यक्रमों से भी दूर रहे हैं. यह शीत युद्ध इतना गहरा हो गया है कि शुक्रवार (21 फरवरी) को भी शिंदे उन तीन सरकारी कार्यक्रमों में नहीं गए, जिनमें देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे. इनमें ठाणे के बदलापुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण भी शामिल था. ठाणे को शिंदे का गढ़ माना जाता है. इसके बावजूद उनका वहां नहीं जाना आपसी विवादों के बेहद गहरा हो जाने के साफ संकेत दे गया है.

4. सरकार के 'वॉर रूम' से भी शिंदे बना रहे दूरी
महाराष्ट्र में चल रही अहम परियोजनाओं की निगरानी और समीक्षा के लिए फडणवीस ने सरकार गठन के बाद वॉर रूम बनाया था, जिसकी बैठकों में शिंदे शामिल नहीं हो रहे हैं. उपमुख्यमंत्री होने के कारण उनका इन बैठकों में मौजूद रहना बेहद अहम है, लेकिन उनके शामिल नहीं होने से सवाल उठ रहे हैं. गठबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार बनने के बाद शिंदे ने अपने कार्यकाल में शुरू की गई योजनाओं पर नजर रखने के लिए अपनी एक को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाई थी. इसके बावजूद फडणवीस ने अलग से वॉर रूम बनाया, जिसके लिए शिंदे की सलाह नहीं ली गई. शिंदे इसे लेकर नाराज हैं.

5. ये फैसले भी बढ़ा रहे फडणवीस-शिंदे के बीच दूरी

  • शिंदे के कार्यकाल में लाए गए 1,400 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को बृहनमुंबई नगर निगम (BMC) ने रद्द कर दिया, जिसे फडणवीस की सहमति माना गया.
  • शिंदे के कार्यकाल में एसटी महामंडल के लिए 1,310 बसों को कॉन्ट्रेक्ट पर लेने का निर्णय हुआ था, जिसे फडणवीस ने रद्द कर दिया है.
  • शिंदे के कई विधायकों की वाई कैटेगरी सुरक्षा वापस ले ली गई. सूत्रों का कहना है कि यह कदम उठाने से पहले उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया.
  • फडणवीस ने महाराष्ट्र के हर जिले के संरक्षक मंत्री नियुक्त सूची से शिंदे के कार्यकाल के मंत्री भरत गोगावले, दादाजी भुसे आदि का नाम गायब. 
  • शिंदे के करीबी उदय सामंत के मंत्रालय के अधिकारी उनका आदेश मानने के बजाय 'ऊपर से आने वाले आदेशों' के आधार पर फैसले ले रहे हैं.
  • शिंदे के कार्यकाल में शुरू की गईं कई योजनाओं की फडणवीस ने समीक्षा करने को कहा है, जिनमें 'शिवभोजन थाली' व 'आनंदाचा शिधा' शामिल हैं.
  • शिंदे ने अपने सीएम कार्यकाल में अपने करीबी मंगेश चिवटे को सीएम रिलीफ फंड का हेड बनाया था, जिन्हें हटाकर फडणवीस ने रामेश्वर नाइक को नियुक्त कर दिया.

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