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Nobel Prize 2022: नोबेल पुरस्कारों के ऐलान के बीच कई नामों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. पहले भी कई बार नोबेल पुरस्कारों को लेकर विवाद हो चुका है.
डीएनए हिंदी: दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार यानी नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) शांति, विज्ञान और साहित्य जैसे क्षेत्रों में दिया जाता है. महान खोज, मानवता के प्रति अतुलनीय योगदान और शानदार साहित्य के लिए दिए जाने वाले इस पुरस्कार को लेकर भी कई बार विवाद हो चुके हैं. एक बार तो तब विवाद हुआ जब जर्मनी के तानाशाह अडॉल्फ हिटलर (Adolf Hitler) को नोबेल पुरस्कारों के लिए नॉमिनेट कर दिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, हिटलर को साल 1939 में नोबेल के शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था.
स्वीडन के एक सांसद की ओर से अडॉल्फ हिटलर को नॉमिनेट करने के बाद जमकर हंगामा हुआ. हंगामे की वजह से हिटलर का नाम वापस ले लिया गया. इसके बाद, हिटलर को नॉमिनेट करने वाले सांसद का भी जमकर विरोध हुआ और कई जगहों से उन्हें बैन भी कर दिया गया. इस सांसद के बारे में कहा गया कि उसने व्यंग्य के तौर पर हिटलर को नॉमिनेट किया था लेकिन लोगों ने इसका संदर्भ सही से नहीं समझा. यह विवाद इतना बढ़ा कि उस साल किसी को भी पुरस्कार नहीं दिया गया.
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कई बार हुआ विवाद
साल 1970 में रूसी लेखक अलेक्जेंडर सोल्शेनीत्सिन को साहित्य के क्षेत्र में नोबेल देने का ऐलान किया गया. अलेक्जेंडर ने सोवियत संघ लेबर कैंप के सभी राज खोले थे इस वजह से रूस इस पुरस्कार से असहमत था. उसने इसका विरोध भी किया. यही वजह थी कि अलेक्जेंडर ने चार साल बाद यह पुरस्कार तब स्वीकार किया जब उन्हें सोवियत संघ से निकाल दिया गया.
इसी के ठीक तीन साल बाद अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी हेनरी किसिंगर और उत्तरी वियतनाम के नेता ली डक थो को शांति के क्षेत्र में नोबेल दिया गया. हालांकि, इस ऐलान के साथ ही नोबेल पुरस्कार समिति के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद, 1976 में एक बार फिर विवाद हुआ जब मिल्टन फ्रिडमैन को नोबेल मिला.
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दरअसल, मिल्टन ओपन मार्केट के धुर समर्थक थे और उनकी संस्था का लेफ्ट वेंग से विवाद चल रहा था. 1994 में यासर अराफात को नोबेल दिए जाने पर जमकर हंगामा हुआ था. हिंसक घटनाओं में शामिल रहे यासर आरफात को कई गुट आतंकी मानते थे.
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