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Durga Ashtami: आज दुर्गा अष्टमी पर नोट कर लें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त-पूजन सामग्री और पढे़ें आरती-कथा

Durga Ashtami : गुप्त नवरात्रि की अष्टमी आज है. महागौरी माता की पूजन विधि के साथ ही उनकी कथा और आरती यहां पढ़ें. अखंड सुहाग का आशीर्वाद मिलेगा.

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Durga Ashtami: आज दुर्गा अष्टमी पर नोट कर लें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त-पूजन सामग्री और पढे़ें आरती-कथा

Durga Ashtami: दुर्गा अष्टमी पर नोट कर लें महागौरी की पूजा विधि

डीएनए हिंदीः 29 जनवरी दिन रविवार को माघ मास की गुप्त नवरात्रि की दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. दुर्गाष्टमी पर विधि-विधान से मां दुर्गा की उपासना की जाती है. मां दुर्गा की पूजा- अर्चना करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.आइए जानते हैं दुर्गाष्टमी पर मां को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें.

पूजा- अर्चना- मुहूर्त
माघ, शुक्ल अष्टमी प्रारम्भ - सुबह 08:58 जनवरी 28
माघ, शुक्ल अष्टमी समाप्त सुबह 09:20 जनवरी 29

पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर,
फल- मिठाई

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि :
इस दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें. मां को भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
महागौरी प्रार्थना मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

महागौरी स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अन्य मंत्र

ओम देवी महागौर्यै नमः।

माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।

श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।

दुर्गा अष्टमी मंत्र

1- श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। 

2- या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

महागौरी बीज मंत्र

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा Durga Ashtami Vrat Katha 
पौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था. उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे. दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें. इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया. इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया. जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई. इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है.

मां महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया।

जया उमा भवानी जय महामाया।

हरिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरा वहां निवासा।

चंद्रकली और ममता अम्बे।

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।

भीमा देवी विमला माता।

कौशिकी देवी जग विख्याता।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

मां महगौरी के जाप करने वाले मंत्र

 

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