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आज भी इन्हीं पहाड़ियों में रहते हैं हनुमान जी, भगवान राम के पद्चिन्ह इस पर्वत पर हैं मौजूद

अंजनेय स्वामी यानी हनुमान जी, श्रीराम भक्त हैं और मान जाता है आज भी वह कलयुग में एक खास पर्वत पर रहते हैं.

ऋतु सिंह | Jun 21, 2025, 07:18 AM IST

1.बजरंबली को मिला अमरत्व का वरदान

बजरंबली को मिला अमरत्व का वरदान
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 हनुमान जी, श्रीराम को न केवल अपने बल के कारण बल्कि अपनी निर्भयता के कारण भी बहुत प्रिय थे. हनुमान जी इतने दयालु थे कि वे अपने शत्रुओं को भी क्षमा करने का भाव रखते थे. हनुमान जी न केवल एक देवता हैं बल्कि एक योद्धा भी हैं. जो भी व्यक्ति भक्ति भाव से हनुमान जी को याद करता है, वे उस व्यक्ति की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए आगे आते हैं. हनुमान जी एक ऐसे भगवान हैं जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है. वे कलियुग में भी हमारे साथ हैं. क्या आप जानते हैं कि कलियुग वह कहां रहते हैं.
 

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2.इस पर्वत पर है हनुमान जी का वास

इस पर्वत पर है हनुमान जी का वास
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रामायण में गंधमादन पर्वत से जुड़ी कई कहानियां हैं. गंधमादन पर्वत के क्षेत्र को यक्षलोक के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्वत में एक अद्भुत झील देखने को मिलती है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी प्रतिदिन इस स्थान पर आते थे और वहां उगने वाले कमल के फूल को लेकर श्री राम की पूजा करते थे. श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णन है कि द्वापर युग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते थे. और इसी स्थान पर श्री राम ने हनुमान जी से मुलाकात की थी. जब पांडव आज के दिन वनवास पर आए तो हनुमान जी ने इसी स्थान पर भीम का घमंड तोड़ा था. ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर आज भी कई ऋषि, देवता और गंधर्व निवास करते हैं.

गंधमादन पर्वत, जिसे एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, वर्तमान में तिब्बत क्षेत्र में स्थित है. यह हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में बताया जाता है. कुछ विद्वानों के अनुसार, यह बद्रीनाथ और मानसरोवर के बीच के क्षेत्र में भी स्थित हो सकता है. 

3.त्रेता युग और द्वापर युग से रहते हैं यहां

त्रेता युग और द्वापर युग से रहते हैं यहां
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी त्रेता युग और द्वापर युग के दौरान कई वर्षों तक इस स्थान, अर्थात गंधमादन पर्वत पर विचरण करते रहे थे. इसी तरह, कलियुग के आगमन के समय हनुमान इसी स्थान पर थे. गंधमादन पर्वत कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है . प्राचीन काल में गंधमादन पर्वत जगदंत पर्वतों में से एक था जो पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित था. ऋषि कश्यप ने इसी स्थान पर तपस्या की थी. वर्तमान में यह पर्वत तिब्बत में है.
 

4.यहां भगवान श्री राम के पदचिह्न भी

यहां भगवान श्री राम के पदचिह्न भी
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंधमादन पर्वत ही वह स्थान है जहां रामायण काल ​​में हनुमान जी अपने वानर मित्रों के साथ बैठकर युद्धनीति का अभ्यास करते थे. वर्तमान में गंधमादन पर्वत पर हनुमान जी से संबंधित एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में हनुमान जी के साथ श्री राम की मूर्ति भी विराजमान है. हनुमान जी अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए विभिन्न रूपों में इस मंदिर में आते हैं. यहां भगवान श्री राम के पदचिह्न भी देखे जा सकते हैं.
 

5.ये वे पवित्र लोग हैं जिन्हें भगवान हनुमान के दर्शन हुए हैं

ये वे पवित्र लोग हैं जिन्हें भगवान हनुमान के दर्शन हुए हैं
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कलियुग में भी कुछ लोगों को हनुमानजी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. ऐसे संतों में गोस्वामी तुलसीदास, समर्थरामदास, माधवदास, नीम करोली बाबा, राघवेंद्र स्वामी और कई अन्य लोगों को हनुमानजी के साक्षात् दर्शन हुए हैं और कुछ लोग उन्हें उन्हीं का अवतार भी मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी के दर्शन के बाद इन लोगों को अद्भुत ज्ञान और आध्यात्मिकता की प्राप्ति हुई.

 

6.कलियुग में हनुमान जी कहां देखे जा सकते हैं?

कलियुग में हनुमान जी कहां देखे जा सकते हैं?
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कई पुराणों में उल्लेख है कि हनुमान जी को आज भी इस संसार में देखा जा सकता है क्योंकि उन्हें चिरंजीवी यानि अमरता का वरदान प्राप्त है. आज भी हनुमान जी उस स्थान पर अवश्य आते हैं जहाँ राम कथा होती है. जहां भी भगवान श्री राम का गुणगान होता है, हनुमान जी किसी न किसी रूप में अपने भक्तों को दर्शन देने अवश्य आते हैं. हनुमान जी की कृपा पाने का सबसे अच्छा तरीका है श्री राम का स्मरण करना.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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