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जब भारत में स्वर्ण मंदिर की बात आती है, तो सबसे पहले पंजाब के अमृतसर स्थित 'स्वर्ण मंदिर' का ख्याल आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के एक राज्य में एक ऐसा मंदिर है जहां पंजाब के स्वर्ण मंदिर से दोगुने सोने का इस्तेमाल किया गया है?
तमिलनाडु के वेल्लोर शहर के पास स्थित 'श्री लक्ष्मी नारायणी स्वर्ण मंदिर' हिंदू धर्म का सबसे भव्य और अनोखा मंदिर माना जाता है. इस मंदिर में 1500 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए इसे 'श्रीपुरम स्वर्ण मंदिर' भी कहा जाता है. यह मंदिर देवी लक्ष्मी नारायणी को समर्पित है.
100 एकड़ में फैले इस मंदिर का निर्माण 2000 में शुरू हुआ और 2007 में पूरा हुआ. पूरी संरचना एक तारे के आकार में डिज़ाइन की गई है, जिसे 'श्री चक्र' कहा जाता है. मंदिर के चारों ओर का रास्ता लगभग 1.8 किलोमीटर लंबा है, और भक्त इस पर चलते हुए आध्यात्मिक संदेश पढ़ सकते हैं.
मंदिर के गुम्बद का ऊपरी भाग सोने की 9-10 परतों से मढ़ा हुआ है. कच्चे सोने की पट्टियाँ बनाकर उन्हें अत्यंत सूक्ष्म नक्काशी वाले ताम्रपत्रों पर जड़ा गया है. इससे मंदिर का हर कोना रोशनी से जगमगाता है और दिव्यता का एहसास होता है.
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तुलना में यहां कितना सोना है?
महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में निर्मित अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में लगभग 750 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ था. इसकी तुलना में, वेिल्लोर के स्वर्ण मंदिर को इससे दोगुने, यानी 1500 किलो सोने से सजाया गया है.
यह मंदिर श्री शक्ति नारायणी अम्मा के मार्गदर्शन में निर्मित है और उनके द्वारा स्थापित श्री नारायणी पीठम ट्रस्ट द्वारा संचालित है. यह ट्रस्ट न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक कार्यों के लिए भी कार्य करता है.
देश-विदेश से आते हैं यहां भक्त
चेन्नई से 145 किमी, बेंगलुरु से 200 किमी और तिरुपति से 120 किमी दूर स्थित इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं. यह मंदिर अब अपने मनोरम परिवेश, सुनहरी कलाकृति और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करने के लिए एक नया आकर्षण बन गया है.
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