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लाइफस्टाइल
अगर आपको लगता है कि ब्लीच लगाकर आपकी स्किन गोरी और शाइनी होती है तो ये सच है लेकिन आधा सच. ब्लीज का यूज आपकी स्किन को दागदार और बूढ़ा भी बना सकता है.
डीएनए हिंदीः आप में से कई लोग या तो सैलून में फेशियल से पहले ब्लीच कराते होंगे या कुछ घर में ही ब्लीच कर लेते होंगे. ब्लीच के बाद चेहरो गोरा नजर आने लगता है चेहरे के बाल स्किन में छुप जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा अगर आप हर 15 दिन या महीने में कर रहे तो इसके लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट ज्यादा होंगे. और एक दिन आप अपने उम्र से बड़े और फेस पर दाग लिए नजर आएंगें.
ब्लीच के साइड इफेक्ट बहुत हैं तब जब आप इसका ओवर यूज करें या इसे गोरा बनाने वाली फेसपैक की तरह यूज करने लगें तो. चलिए जान लें कि ओवर यूज ब्लीच किस तरह से आपके स्किन को नुकसान पहुंचा सकती है.
1. डर्मेटाइटिस यानी स्किन की उपरी लेयर पर सूजन-दाग
ब्लीच का ओवरयूज डर्मेटाइटिस यानी जिल्द की सूजन, खुजलीदार स्किन और पपड़ीदार स्किन का कारण बन सकता है. जिल्द की सूजन चेहरे, ऊपरी छाती, बगल और कमर सहित त्वचा के कई हिस्सों पर विकसित हो सकती है. चेहरे पर ब्लीच लगाने का यह एक बड़ा साइड इफेक्ट है. कई बार ये स्किन और फेस पर लालिमा, फफोले, पित्ती, सूजन, खुजली और जलन का कारण भी बन जाती है.
2. पारा विषाक्तता
ब्लीच में मरकरी से स्किन पर कई दिक्कतें आ सकती हैं. इससे स्किन में सुन्नता, उच्च रक्तचाप, थकान और यहां तक कि किडनी डैमेज तक का खतरा होता है. यह एक सस्ता स्किन लाइटनिंग इंग्रीडिएंट है लेकिन इसके नुकसान बहुत हैं.
3. स्टेरॉयड मुंहासे
स्टेरॉयड मुंहासे प्रमुख रूप से ब्लीच क्रीम के कारण होते हैं जिनमें कॉर्टिकोस्टेरॉइड होते हैं. स्टेरॉयड मुंहासे आमतौर पर छाती पर विकसित होते हैं, लेकिन कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के लंबे समय तक उपयोग से ये पीठ, हाथ और शरीर के अन्य हिस्सों पर भी हो सकते हैं. स्टेरॉयड मुंहासे के लक्षण ब्लैकहेड्स, व्हाइटहेड्स, लाल धक्कों और मुंहासे के निशान होते हैं. चेहरे पर ब्लीच का उपयोग बंद करने पर भी रोका जा सकता है
4. नेफ्रोटिक सिंड्रोम
चेहरे पर ब्लीचिंग का एक और नुकसान नेफ्रोटिक सिंड्रोम है. यह एक किडनी वो स्थिति है जिसमें किडनी के ब्लड वेसेल्स को नुकसान होता है जिससे शरीर की गंदगी और जमा पानी बाहर निकलना बंद होने लगता है. इससे आपके यूरिन में बहुत अधिक प्रोटीन निकलने लगता है. स्किन लाइटनिंग क्रीम में पारा होता है जो नेफ्रोटिक सिंड्रोम से भी जुड़ा होता है. नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षणों में टखनों और पैरों में सूजन, भूख न लगना और थकान महसूस होना भी शामिल है.
5. नीली- काली स्किन
ब्लीच का उपयोग के बाद आपके चेहरे पर विकसित होने वाली नीले-काले पिगमेंटेशन को एक्सोजेनस ओक्रोनोसिस कहा जाता है. ये एक रोग है जो स्किन को काला और नीला बना देता है. ब्लीच में मौजूद हाइड्रोक्विनोन के कारण नीले काले धब्बे होते हैं
तो ये थे चेहरे को ब्लीच करने के नुकसान. इसलिए चेहरे पर ब्लीचिंग क्रीम लगाने से बचें.