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'कभी आपने भी चादर भेजी थी', अजमेर दरगाह सर्वे विवाद पर पूर्व नौकरशाहों का PM मोदी को खत

Ajmer Dargah Sharif News: अजमेर दरगाह शरीफ सर्वेक्षण को लेकर पूर्व नौकरशाहों ने दावा किया कि सिर्फ पीएम मोदी इस तरह की हानिकारक गतिविधियों को रोक सकते हैं.

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'कभी आपने भी चादर भेजी थी', अजमेर दरगाह सर्वे विवाद पर पूर्व नौकरशाहों का PM मोदी को खत

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राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर उभरते विवाद के बीच पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पीएम मोदी से उन सभी अवैध और हानिकारक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की, जो भारत की सभ्यतागत विरासत पर वैचारिक हमला हैं और एक समावेशी देश के विचार को डिस्ट्रॉय करती हैं.

पूर्व नौकरशाहों ने दावा किया कि सिर्फ पीएम मोदी इस तरह की हानिकारक गतिविधियों को रोक सकते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि उन्होंने खुद 12वीं शताब्दी के संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वार्षिक उर्स के अवसर पर शांति और सद्भाव के उनके संदेश को सम्मान देते हुए चादरें भेजी थीं.

इन नौकरशाहों ने लिखी चिट्ठी
चिट्ठी लिखने वालों में दिल्ली के पू्र्व LG नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त SY कुरैशी, ब्रिटेन में पूर्व उच्चायुक्त शिव मुखर्जी, सेना के पूर्व उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह और RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर रवि वीरा गुप्ता शामिल हैं. उन्होंने 29 नवंबर को पीएम मोदी को पत्र लिखा था. 

नौकरशाहों ने कहा कि कुछ अज्ञात समूह हिंदू हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे हैं और यह साबित करने के लिए मध्ययुगीन मस्जिदों, दरगाहों के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग कर रहे हैं कि इन स्थलों पर पहले मंदिर हुआ करते थे.

अजमेर शरीफ पवित्र सूफी स्थलों में से एक
चिट्ठी में लिखा गया, 'पूजा स्थल अधिनियम के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद अदालतें भी ऐसी मांगों पर अनुचित तत्परता और जल्दबाजी के साथ प्रतिक्रिया देती नजर आती हैं. उदाहरण के लिए एक स्थानीय अदालत का सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की 12वीं सदी की दरगाह के सर्वेक्षण का आदेश देना अकल्पनीय लगता है, जो एशिया में न केवल मुसलमानों के लिए, बल्कि उन सभी भारतीयों के लिए सबसे पवित्र सूफी स्थलों में से एक है, जिन्हें हमारी समन्वयवादी और बहुलवादी परंपराओं पर गर्व है.

बता दें कि अजमेर की एक सिविल अदालत ने 27 नवंबर को अजमेर दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी किया था. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि दरगाह मूल रूप से एक शिव मंदिर थी. गुप्ता के दावे पर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है. (With PTI inputs) 

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