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डीएनए एक्सप्लेनर
Salman Khurshid ने सोशल मीडिया पर बिना नाम लिए अपनी ही पार्टी के उन नेताओं की धज्जियां उड़ाई है, जो उनके Operation Sindoor पर विदेश भेजे गए डेलिगेशन में शामिल होकर दिए बयानों को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं. आइए समझते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस कैसे उलझ रही है.
Operation Sindoor में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई है. इस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार के हर फैसले में साथ खड़े होने का दावा किया. इसके उलट भारत-पाकिस्तान सीजफायर (India-Pakistan Ceasefire) के बाद कांग्रेस लगातार उल्टी चाल चलती दिख रही है. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना द्वारा दिखाए जौहर पर भी कांग्रेसी नेता सवाल उठा रहे हैं. हालांकि उसी कांग्रेस के अंदर शशि थरूर (Shashi Tharoor) भी हैं, जिन्होंने मोदी सरकार की कार्रवाई का खुलकर समर्थन किया है. इसके चलते कुछ कांग्रेसी नेताओं ने उल्टे उनके ऊपर ही सवाल उठाते हुए उन्हें भाजपा का 'सुपर प्रवक्ता' घोषित कर दिया. इससे उठे विवाद के बीच अब एक और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) भी अपनी ही पार्टी के निशाने पर आ गए हैं. मोदी सरकार की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए विदेश भेजे डेलीगेशन में शामिल खुर्शीद ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को सही ठहरा दिया है. इसके बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पार्टी के अंदर उठाई है. इससे आहत सलमान खुर्शीद ने सोशल मीडिया पर किसी का नाम लिए बिना अपनी पार्टी के नेताओं की धज्जियां उड़ा दी हैं. उन्होंने लिखा है कि क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है? मेरे लिए भारत और केवल भारत सबसे पहले है. थरूर के बाद अब खुर्शीद के ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ करने पर उन्हें निशाना बनाने से खुद कांग्रेस भी सवालों के घेरे में आ गई है. इससे पार्टी के अंदर चल रहा वैचारिक संघर्ष भी सभी के सामने आ गया है.
चलिए 5 पॉइंट्स में जानने की कोशिश करते हैं कि पूरा मामला क्या है?
1. पहले जान लीजिए खुर्शीद ने अपने ट्वीट में क्या बात कही है?
सलमान खुर्शीद ने ट्वीट में लिखा,'आतंकवाद के खिलाफ भारत का संदेश दुनिया तक पहुंचाने को लेकर जब आप मिशन पर हैं तो ऐसे वक्त में यह दुखद है कि देश में लोग आपकी राजनीतिक निष्ठाओं को कैल्कुलेट कर रहे हैं. क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?' खुर्शीद ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भेजे गए उस डेलीगेशन का हिस्सा हैं, जो इंडोनेशिया, मलेशिया, कोरिया, जापान और सिंगापुर गया है. खुर्शीद ने इंडोनेशिया के जकार्ता में मीडिया से भी बातचीत में इस मुद्दे को लेकर दुख जताया. उन्होंने ANI से कहा,'यहां मैं भारत सरकार का विरोध करने नहीं भारत के लिए बोलने आया हूं. मेरे लिए भारत और केवल भारत सबसे पहले है. लोग कह रहे हैं कि तुम उस डेलीगेशन में क्या कर रहे हो, जिसमें BJP के लोग मौजूद हैं. हम यहां क्या कर रहे हैं? हम यहां वो कर रहे हैं, जिसकी देश को जरूरत है. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस पार्टी से हैं. आज देश के हित में एकसुर में बोलने की जरूरत है और हम यहां वही कर रहे हैं. मेरे हिसाब से जब मैंने कहा कि क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है? यह सवाल उन लोगों से पूछना चाहिए, जो ट्वीट करते हैं और सवाल पूछते हैं. मेरा मानना है कि जब आप देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो बहुत ज्यादा उत्साह नहीं बढ़ाया जाता है.'
2. खुर्शीद के किस बयान पर शुरू हुआ है विवाद
सलमान खुर्शीद ने जकार्ता में थिंक टैंक्स और विद्वानों को संबोधित करते हुए कहा,'कश्मीर लंबे समय से एक समस्या था. इसके पीछे संविधान के अनुच्छेद 370 के जरिये दिख रही सरकार की सोच थी, जिसने कश्मीर के देश के बाकी हिस्से अलग होने की धारणा बनाई. अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया. बहुत समय बीत चुका था. अब चुनाव हुए और लोगों की 65% भागीदारी हुई. आज कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार है. इसलिए जो कुछ भी हुआ है, लोगों के लिए कश्मीर में समृद्धि आई है. ऐसे में उसे पहले जैसा करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा और यह किसी को भी झटका देगा.' खुर्शीद के इस बयान का हवाला देकर भाजपा नेताओं ने कांग्रेस और खासतौर पर राहुल गांधी पर निशाना साधा है. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने सलमान खुर्शीद को घेर लिया है. राशिद अल्वी ने कहा,'डेलिगेशन में गए लोग पार्टी को नहीं देश को रिप्रजेंट कर रहे हैं, लेकिन कोई कांग्रेस नेता अपनी पार्टी के मुकाबले भाजपा की तारीफ करता है तो उस पर पार्टी के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए. यह लोग अपनी ही पार्टी को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं.'
3. कांग्रेस का अंदरूनी वैचारिक मतभेद आ रहा बाहर
ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्र सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया जाए या विरोध, इसे लेकर कांग्रेस के अंदर ही दो गुट बन गए हैं. इससे पार्टी के अंदर लगातार चल रहा वैचारिक मतभेद भी बाहर आ गया है. एकतरफ नेता विपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नेतृत्व में कांग्रेस ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को 'मुखबिर' बताकर मोदी सरकार पर हमलावर होने की नीति अपनाई है. उसके उलट मोदी सरकार की तरफ से भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों में खुद ही शामिल हुए शशि थरूर, मनीष तिवारी और कांग्रेस की तरफ से डेलीगेशन में भेजे गए इकलौते ऑफिशियल नेता आनंद शर्मा के बाद अब सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने अलग ही बयान दिए हैं. इससे सीधेतौर पर पार्टी के अंदर का आपसी वैचारिक संघर्ष और मतभेद सबको दिखाई दे रहा है.
4. क्या यह पार्टी के G-23 का एक्सटेंशन?
कई प्रमुख कांग्रेसी नेताओं के बयान पार्टी लाइन से अलग दिखने से एक बार फिर उस G-23 गुट की याद आने लगी है, जो साल 2020 में कांग्रेस नेतृत्व के लिए सिरदर्द बन गया था. कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद समेत 23 वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी के अंदर ही एक अलग धड़ा बना लिया था. उस समय सिब्बल ने कहा था कि हम G-23 हैं, लेकिन निश्चिततौर पर जी हुजूर 23 नहीं हैं. इन नेताओं ने राहुल गांधी पर पार्टी की नीतियों को प्रभावित करके अपना एजेंडा लागू करने और केसी वेणुगोपाल जैसे 'यस-मैन' के अंधों की तरह उसे लागू करने का आरोप लगाया था. हालांकि बाद में इस G-23 गुट के कई नेताओं को पार्टी से बाहर जाना पड़ा था. अब फिर ऐसा ही होता दिख रहा है. पार्टी नेतृत्व से अलग चल रहे नेताओं को G-23 का ही एक्सटेंशन माना जा रहा है.
5. बयान कांग्रेस के, लाभ ले रहा पाकिस्तान
भारतीय सेना को ऑपरेशन सिंदूर में मिली सफलता को पाकिस्तान सीजफायर होते ही झुठलाने की कोशिश में जुट गया था. पाकिस्तान ने अपने पूरे देश में जगह-जगह भारत पर झूठी जीत की रैलियां निकाली थीं और यूट्यूबर्स के जरिये प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की. हालांकि इस प्रोपेगेंडा में उसे खुद ही मुंह की खानी पड़ी, लेकिन अब कांग्रेस की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए दिए जा रहे बयानों ने पाकिस्तान की बांछे खिला रखी हैं. पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र से लेकर दूसरे देशों के सामने तक कांग्रेस के ही बयान पेश कर रहा है. पाकिस्तानी मीडिया में भी कांग्रेस के बयानों को जमकर हाईलाइट किया जा रहा है और उसके जरिये यह साबित करने की कोशिश चल रही है कि भारत ने पाकिस्तान को नहीं हराया है बल्कि मोदी सरकार झूठ बोल रही है.
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