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New Wage Code: इनकम टैक्स, बैंक लोन और नौकरी बदलने पर कैसे मिलेगा फायदा, सैलरी बढ़ने पर क्या मिलेगा?

New Wage code latest news: न्यू वेज कोड के लागू होने से ज्यादातर लोगों के मन में यही बात रहती है कि उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. पैसे कम मिलेंगे, लेकिन इसके फायदों को जानना और समझना जरूरी है.

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New Wage Code: इनकम टैक्स, बैंक लोन और नौकरी बदलने पर कैसे मिलेगा फायदा, सैलरी बढ़ने पर क्या मिलेगा?

न्यू वेज कोड

डीएनए हिंदी: हम पिछले डेढ़ साल से सुनते आ रहे हैं कि वेतन बदलेगा, छुट्टियां बढ़ेंगी, शिफ्ट का समय और भी बहुत कुछ... लेकिन, मन में सवाल यह है कि ये नए कोड कब लागू होंगे? इसके लागू होने के बाद आपके वेतन के ढांचे में कितना बदलाव आएगा? मूल वेतन का घटक कुल वेतन का 50% यानी सीटीसी होगा. भत्तों की बड़ी राशि कम हो जाएगी. इससे सभी ने अंदाजा लगाया कि टेक होम सैलरी यानी हाथ में सैलरी कम हो जाएगी. यहां हम आपको बताएंगे कि कहां और कैसे आपको इसमें फायदा भी देखना चाहिए.

न्यू वेज कोड में बढ़ेगी बेसिक सैलरी

केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों को जोड़कर 4 नए श्रम कोड तैयार किए. इन्हें न्यू वेज कोड (New Wage Code) का नाम दिया गया. वेतन संहिता 2019 में प्रावधान है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों को जो वेतन देंगी उसमें मूल वेतन का हिस्सा कुल वेतन (सीटीसी) का 50 प्रतिशत होगा. अभी तक कंपनियां बेसिक सैलरी वाले हिस्से को कम और रीइंबर्समेंट-अलाउंस वाले हिस्से को ज्यादा रखती हैं. इनमें अवकाश यात्रा भत्ता (LTA), ओवरटाइम और वाहन भत्ता जैसे भत्ते शामिल हैं. न्यू वेज कोड के लागू होने से सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव होगा. हालांकि इसके 1 जुलाई से लागू होने की बात चल रही थी. 

न्यू वेज कोड बन गया कानून, बस तारीख का इंतजार

न्यू वेज कोड अभी तक लागू नहीं हुआ है, इसका मतलब यह नहीं है कि इसे कभी भी लागू नहीं किया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. यानी यह कानून बन गया है, तो यह लागू होगा. फिलहाल अभी तक तारीख तय नहीं हुई है.

आपकी सैलरी उतनी ही रहेगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। कुछ आंकड़े सिर्फ सैलरी स्ट्रक्चर या यूं कहें कि सैलरी स्लिप में बढ़ाए या घटाए जाएंगे.

यदि मूल वेतन घटक 50% से कम है, तो यह बढ़कर 50% या उससे अधिक हो जाएगा. अगर आपकी बेसिक सैलरी कुल सैलरी का 50 फीसदी है तो यकीन मानिए कोई बदलाव नहीं होगा.

न्यू वेज कोड के क्या लाभ हैं?

आयकर (Income Tax)

ऊपर हमने उल्लेख किया है कि न्यू वेज कोड के लागू होने के बाद आपका भविष्य निधि हिस्सा अधिक होगा. मतलब इसमें और पैसा जमा होगा. निवेश ज्यादा होगा तो टैक्स सेविंग भी ज्यादा होगी. हालांकि, एक बात का ध्यान रखें कि यदि आप किसी वित्तीय वर्ष में 2.50 लाख रुपये से अधिक भविष्य निधि में जमा करते हैं, तो इससे ऊपर की राशि पर अर्जित ब्याज कर योग्य होगा.

बैंक ऋण (Bank loan)

यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि बैंक लोन के लिए अप्लाई करते समय आपकी सैलरी नहीं बल्कि बेसिक सैलरी देखता है. ऐसे में बेसिक सैलरी बढ़ने से आपके लोन मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी. मूल वेतन जितना अधिक होगा, आसान किश्तों पर ऋण मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.

नौकरी परिवर्तन (Job Change)

नौकरी छोड़ने के बाद अक्सर लोग आपका सीटीसी (CTC)  पूछते हैं. हालांकि जब भी नई कंपनी का एचआर आपकी सैलरी की बात करता है तो वह बेसिक सैलरी के आधार पर पूरा स्ट्रक्चर भी तैयार कर लेता है. नई कंपनी का फोकस अगर आपकी बेसिक सैलरी पर जाता है तो आपको बढ़ी हुई बेसिक सैलरी पर नई बढ़ोतरी मिलेगी, यानी आपको इसमें भी एक फायदा है.

कर्मचारी भविष्य निधि

वेतन से भविष्य निधि (EPF) काट ली जाती है, इसकी गणना मूल वेतन पर की जाती है. मूल वेतन का 12% ईपीएफ (EPF) में जाता है. वही हिस्सा कंपनी की ओर से भी जमा किया जाता है. नए वेतन ढांचे में बेसिक बढ़ने से आपका और कंपनी का योगदान भी बढ़ेगा. उदाहरण के लिए- आपकी सैलरी 40,000 रुपये है, जिसका बेसिक 15,000 रुपये है. नए ढांचे में बेसिक को बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया जाएगा. यानी पहले एक शेयर से 1800 रुपये पीएफ में जमा होते थे, जबकि अब कम से कम 2400 रुपये जमा होंगे. दोनों तरफ से 600+600 रुपये की बढ़ोतरी होगी. वार्षिक जमा पूंजी पर भी ब्याज मिलेगा, जिसका अर्थ है कि आपकी सेवानिवृत्ति पर पेंशन कोष बहुत अधिक होगा.

ग्रेच्युटी

ग्रेच्युटी एक दीर्घकालिक लाभ योजना है. जब कोई कमर्चारी एक कंपनी में लगातार 5 साल तक काम करता है तब जाकर उसे यह ग्रेच्युटी मिलता है. इसकी गणना भी मूल वेतन पर की जाती है. नए वेज कोड के लागू होने से नियोक्ता को इसके लिए भी अधिक पैसा खर्च करना होगा. कर्मचारी को ग्रेच्युटी के रूप में अधिक राशि मिलेगी.

इसका क्या प्रभाव होगा?

न्यू वेज कोड के लागू होने से सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव का असर कंपनियों पर भी पड़ेगा, उन्हें ज्यादा ईपीएफ (EPF) भरना होगा. ग्रेच्युटी भी अधिक देनी होगी. वहीं सरकार को टैक्स के रूप में और पैसा मिलेगा. इससे उसे फायदा होगा. अगर कंपनी सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करती है तो आपका सीटीसी बढ़ सकता है. टेक होम सैलरी को समान रखने के लिए कंपनी इसमें बदलाव नहीं करेगी.

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