IND vs ENG: कौन है यशस्वी जायसवाल की 'रूमर्ड' गर्लफ्रेंड? जिसे ओवल में शतक के बाद दी 'Flying Kiss'?
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर शशि थरूर का इशारा किस ओर? मोदी सरकार से जताई ये खास उम्मीद
IND vs ENG: टीम इंडिया की जीत पक्की! ओवल टेस्ट में इंग्लैंड के लिए रन चेज काफी मुश्किल, देखें आंकड़े
श्रीनगर एयरपोर्ट पर मचा बवाल, आर्मी ऑफिसर ने की लात-घूंसों की बरसात, अस्पताल में भर्ती हुआ कर्मचारी
डीएनए एक्सप्लेनर
Justice BR Gavai: चीफ जस्टिस के रूप में बीआर गवई का कार्यकाल सिर्फ 7 महीने का होगा. वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्ति होंगे. CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है.
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice BR Gavai) 14 मई 2025 को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ लेंगे. मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश कानून मंत्रालय को की थी. CJI खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है. उनके बाद बीआर गवई 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालेंगे.
चीफ जस्टिस के रूप में बीआर गवई का कार्यकाल सिर्फ 7 महीने का होगा. वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्ति होंगे. सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष होती है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए गए प्रोफाइल के मुताबिक, जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट हुए थे. इससे पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके थे. गवई अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस होंगे. उनके पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के दलित मुख्य न्यायाधीश बने थे.
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. यहीं से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया. 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की. साल 1992 में वह बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए. 14 नवबंर 2003 को गवई बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए और 12 नवंबर 2005 परमानेंट जज बन गए.
नोटबंदी पर फैसला: मोदी सरकार द्वारा साल 2016 में की गई नोटबंदी को जस्टिस गवई वैध ठहराया था. उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि नोटबंदी का निर्णय केंद्र सरकार ने आरबीआई के परामर्श के बाद लिया था. इसलिए इस फैसले को रद्द नहीं किया जा सकता. यह अनुपातिकता की कसौटी पर खरा उतरता है.
ED निदेशक के कार्यकाल पर रोक: जुलाई 2023 में जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने प्रवर्तण निदेशालय यानी ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल के तीसरे विस्तार को अवैध ठहराया था. उन्होंने कहा था कि सरकार कानून के मुताबिक तीसरी ऐसे किसी कार्यकाल नहीं बढ़ा सकती. कोर्ट ने 31 जुलाई तक संजय कुमार को पद छोड़ने का निर्देश दिया था.
बुलडोजर एक्शन पर रोक: साल 2024 में जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन को असंवैधानिक बताया था. बेंच ने कहा था कि आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को नष्ट नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो इसका जिम्मेदार संबंधित अधिकारी होगा.
तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत: साल 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 के गोधरा दंगों से संबंधित मामले में नियमित जमानत प्रदान की थी.
अनुच्छेद 370: जस्टिस गवई उस पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा रहे, जिसने दिसंबर 2023 में सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था.
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.