Jalaun News: दावत खाने गए 70 से ज्यादा लोगों को फूड पॉइजनिंग, एक मासूम की मौत, मातम में बदला उत्सव
भारत का वो मंदिर जहां पुरुषों को बनना पड़ता है औरत, समझें क्यों?
इसे कहते हैं अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना, हिस्ट्रीशीटर ने फोटो खिंचाकर झाड़ा रौब, पुलिस ने धर दबोचा
चीफ गेस्ट बनकर पहुंची Shilpa Shetty, इस कारण दर्ज हुआ मुकदमा, जानकर हैरान रह जाएंगे
Haryana Election Result: हरियाणा के इस इलाके में मुसलमानों ने चला ऐसा दांव, खड़ी नहीं हो पाई बीजेपी
Delhi में सनसनीखेज वारदात, फंदे से लटकी मिली 8वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा की लाश
Haryana Election Results 2024 : तीसरी बार खिला कमल, इन 5 कारणों से भाजपा ने लहराया जीत का परचम
Dadasaheb Phalke Award to Mithun Chakraborty: फैसला सही हुआ है, सिनेमा को दूर तक ले गए हैं मिथुन
मंडप में दुल्हन कर रही थी इंतजार, दूल्हा Laptop पर... सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर
UGC NET 2024: इन वेबसाइट से डाउनलोड कर पाएंगे यूजीसी नेट का स्कोरकार्ड
Nobel Prize In Physics: इस खोज के लिए मिला Geoffrey Hinton और John Hopfield को फिजिक्स का नोबेल
IND vs BAN: दूसरे टी20 से पहले बांग्लादेश को बड़ा झटका, शाकिब के बाद इस दिग्गज ने लिया संन्यास
मां से लेकर बहनों तक, जानें किस-किस प्रोफेशन में है Urfi Javed की फैमिली?
Haryana Election 2024 : हरियाणा चुनाव से मिली 'सबसे बड़ी सीख', आप संयोजक केजरीवाल के बोल
Breast Cancer: क्या ब्रा पहनने से स्तन कैंसर हो सकता है? यह दावा कितना सच है?
Abs Exercises: चर्बी को घटाकर एब्स बनाने में मदद करेंगे ये 5 वर्कआउट, टाइट होंगी पेट की मसल्स
इस इंडियन सिंगर की दीवानी हुईं पाकिस्तानी एक्ट्रेस Hania Aamir, फोटो शेयर कर कही ये बात
Haryana Chunav के नतीजों के बीच छाई 'गोहाना की जलेबी', लोग बोले- स्वाद चखा दे...
Haryana Election Result 2024: जिन सीटों पर CM Yogi ने की रैली, जानें वहां कैसा रहा हाल
Laundry Hacks: कॉलर के जिद्दी दागों को साफ करने में मदद करेंगे ये तरीके, आजमाकर देखें
GATE 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि बढ़ी, अब इस डेट तक करें अप्लाई
Navratri 2024 Upay: नवरात्रि के बीच घर लें आएं ये 5 चीजें, सफलता के साथ पूर्ण हो जाएगी धन की कामना
जानें कब और कहां फ्री में देख सकेंगे 70th National Film Awards, यहां है पूरी डिटेल्स
Tata Nexon: शानदार फीचर्स के साथ 1 लाख में घर ले जाएं Tata Nexon!
Delhi: विकास कार्य को ग्रामीणों ने रुकवाया, जानिए क्या है पूरा मामला
Jammu-Kashmir Election Result: फारूक अब्दुल्ला का ऐलान, 'उमर अब्दुल्ला होंगे मुख्यमंत्री'
हरियाणा के विधायकों की कितनी होगी तनख्वाह
को-स्टार ने किया इस एक्ट्रेस का किडनैप, मर्डर कर बस के बाहर फेंका कटा हुआ सिर
Doda AAP Win: जम्मू-कश्मीर में खुला आम आदमी पार्टी का खाता, डोडा विधानसभा सीट से जीते मेहराज मलिक
J&K Election Result 2024: क्या BJP की अयोध्या हार के जख्म को भर पाएगा माता वैष्णो देवी का आशीर्वाद?
एस जयशंकर के दौरे से पहले पाकिस्तान ने कही ये बड़ी बात, SCO शिखर सम्मेलन पर इस संभावना से किया इनकार
Vashu Bhagnani ने नेटफ्लिक्स पर लगाया करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप, लिया लीगल एक्शन
जोड़ों के दर्द का कारण बनता है High Uric Acid, इन घरेलू नुस्खों से दूर होगी दिक्कत
दशहरा मेला घूमने का है प्लान? इन बातों का रखें ध्यान वरना उठाना पड़ेगा नुकसान
'स्वैग हो तो ऐसा...' दुल्हन को Sports Bike चलाते देख बोल पड़े यूजर्स, देखें Viral video
दिमाग के लिए ठीक नहीं है तनाव लेना, Stress Free रहने के लिए लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव
IRE vs SA: टी20 के बाद आयरलैंड ने वनडे में भी किया उलटफेर, साउथ अफ्रीका को 69 रनों से रौंदा
Health Tips: हर समय की थकान और सुस्ती को दूर करेंगे ये 5 टिप्स, पूरे दिन बनी रहेगी फुर्ती
Share Market News: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव नतीजों के बीच शेयर बाजार भी खा रहा हिचकोले
Tea Leaves: आप भी तो नकली चाय पाउडर का इस्तेमाल नहीं करते? इस आसान तरीके से पहचानें
Bigg Boss 18: Shehzada Dhami ने Chum Darang पर किया Racist कमेंट, भड़कीं एक्ट्रेस ने दिया जवाब
क्या त्रिशंकु (हंग असेंबली) रह सकता है हरियाणा चुनाव का नतीजा? फिर किसकी बनेगी सरकार
Haryana Election Result 2024: पिछड़ने के बाद Anil Vij ने बनाई बढ़त, अंबाला कैंट सीट से चल रहे आगे
इन कारणों से बढ़ता है Kidney Infection का खतरा, जानें लक्षण और बचाव के उपाय
करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हैं Gauri Khan, नेटवर्थ में देती हैं Shah Rukh Khan को टक्कर
UGC की नई पहल, अब बेस्ट पीएचडी वर्क के लिए स्कॉलर्स को मिलेगा एक्सीलेंस अवॉर्ड
'राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करनी पड़े तो धर्मसम्मत मान्य', ऐसा क्यों बोल गए CM योगी
Bigg Boss 18: Sidhu Moosewala की मौत पर Tajinder Bagga ने किया हैरान करने वाला खुलासा, बताई वजह
डीएनए एक्सप्लेनर
Mission 2024: विपक्षी दलों की यह दूसरी बैठक है. इस बैठक में विपक्षी दलों को हर हाल में न्यूनतम कॉमन एजेंडा तय करना ही होगा ताकि महाएकता की कवायद आगे बढ़ती दिखाई दे.
TRENDING NOW
डीएनए हिंदी: Indian Politics- देश में अगले साल होने वाले आम चुनाव (General Elections 2024) के लिए सभी दल कमर कस चुके हैं. मंगलवार 18 जुलाई का दिन एक तरीके से देश में राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का दिन साबित होने वाला है. एकतरफ विपक्षी दलों की 'महाएकता' बैठक का बेंगलूरु में दूसरा दिन है, वहीं दिल्ली में भाजपा नेतृत्व में NDA के 38 दल जुटने जा रहे हैं. विपक्षी दलों की यह दूसरी बैठक है. पिछले महीने 23 जून को पटना में पहली बैठक में 15 विपक्षी दलों ने विपक्षी एकता की नींव रखी गई थी, जिस पर मजबूत इमारत तैयार करने की चुनौती के साथ बेंगलूरु में दूसरी बैठक आयोजित हो रही है. सोमवार को बैठक से पहले कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की तरफ से आयोजित 'डिनर' के दौरान 26 विपक्षी दल एकसाथ मौजूद थे. पटना के बाद विपक्ष के बढ़े हुए आंकड़े से सभी की बांछे खिली हुई हैं, लेकिन इन सभी के सामने एक बड़ी चुनौती भी है. मंगलवार को जब विपक्ष की बैठक शुरू होगी तो उनके सामने कई सवाल खड़े होंगे, जिनके जवाब स्पष्ट नहीं हुए तो विपक्षी महाएकता लोकसभा चुनाव (Lok Sabha 2024) से पहले कभी भी धराशाई होने का खतरा बना रहेगा.
आइए बात करते हैं उन 5 बाधाओं की, जिन्हें पार करना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती है.
1. सीट शेयरिंग का फॉर्मूला कैसे होगा तय?
साल 2024 के लोकसभा चुनावों में सभी विपक्षी दलों की एकजुटता का आधार है भाजपा को जीत की हैट्रिक बनाने से रोकना. इसके अलावा सभी दल ज्यादा से ज्यादा सीट भी जीतना चाहते हैं ताकि आगे सरकार बनने पर उनका प्रभाव सबसे ज्यादा रहे. ऐसे में विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करना सबसे कठिन काम है, क्योंकि कोई भी दल एक भी सीट नहीं छोड़ना चाहेगा. हालांकि सीट शेयरिंग के लिए ममता बनर्जी वाले फॉर्मूले पर बात हो सकती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो दल जिस राज्य में मजबूत है, वहां बाकी दल उसे सपोर्ट करें. हालांकि इस फॉर्मूले में भी टकराव की स्थिति हो सकती है, क्योंकि कुछ राज्यों में विपक्ष के कई दल एकसाथ मौजूद हैं और सभी खुद को मजबूत मानते हैं.
#WATCH | Karnataka | Ahead of the second day of Opposition leaders' meeting in Bengaluru, posters and banners targetting Bihar CM Nitish Kumar were put up at Bengaluru's Chalukya Circle, Windsor Manor Bridge and on the Airport road near Hebbal. pic.twitter.com/y6wCro7SXF
— ANI (@ANI) July 18, 2023
पढ़ें- विपक्षी एकता के जवाब में दिल्ली में जुटेगा NDA, जानिए इन 38 दलों की ताकत
2. क्या कांग्रेस को 'कुर्बानी' के लिए तैयार कर पाएंगे बाकी दल?
सबसे ज्यादा परेशानी पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में होगी. इन राज्यों में लोकसभा की करीब 220 सीट हैं यानी देश की कुल सीटों में सबसे बड़ी शेयरिंग इन पांच राज्यों की है. दिल्ली की 7 सीट और पंजाब की 13 सीट पर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दावा ठोक रही है, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में पंजाब की सभी सातों सीट जीतने और दिल्ली में दूसरे नंबर पर रहने के चलते कांग्रेस का दावा भी यहां मजबूत है. आप लोकसभा 2019 में इन 20 में से महज 1 सीट जीत पाई थी, फिर भी राज्य में सरकार होने के आधार पर वह दावा मजबूत बता रही है. उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में कांग्रेस बेहद कमजोर है, जबकि पश्चिम बंगाल में भी भाजपा के उभार ने कांग्रेस का दर्जा सबसे नीचे कर दिया है. साल 2019 में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश की 80 में महज 1, पश्चिम बंगाल की 42 में से 2, महाराष्ट्र की 48 में 1, बिहार की 40 में से 1 सीट मिली थी. इसके उलट बंगाल में ममता बनर्जी की TMC को 22, बिहार में नीतीश कुमार की JDU की 16 सीट (भाजपा से गठबंधन में रहकर), महाराष्ट्र में शिवसेना की 18 (भाजपा गठबंधन में रहकर) व NCP की 4 सीट थीं और उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सपा की 5 सीट थीं यानी ये सभी इन राज्यों में कांग्रेस से ज्यादा मजबूत हैं. इन हालात में इन 220 सीटों में से कांग्रेस के लिए ये विपक्षी दल मुश्किल से 25 से 30 सीट छोड़ने को तैयार होंगे. सवाल ये है कि क्या दोबारा सत्ता चलाने का स्वप्न देख रही कांग्रेस इस 'कुर्बानी' के लिए तैयार होगी?
#WATCH महाराष्ट्र: NCP प्रमुख शरद पवार मुंबई स्थित अपने आवास से रवाना हुए। वे आज बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष की बैठक में शामिल होंगे। pic.twitter.com/mMuApVRkpU
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 18, 2023
3. राज्य में आपस में नीतिगत विरोधी, फिर सहमति कैसे बने?
विपक्षी दल मिलकर चुनाव लड़ने के लिए एक ऐसा न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करने की बात कर रहे हैं, जिस पर सभी दल सहमत हों. हालांकि इसमें भी सवाल उठ रहा है कि यह न्यूनतम साझा कार्यक्रम कैसे तय होगा, क्योंकि इसे तय करने के लिए कई दलों को उन नीतियों से समझौता करना पड़ सकता है, जिसके आधार पर वे राज्य की राजनीति में एक-दूसरे का विरोध करते हैं. इसका सबसे सशक्त उदाहरण पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, वामपंथी दलों और तृणमूल कांग्रेस का रिश्ता है.
4. पीएम पद का चेहरा तय करना भी बड़ा सवाल
प्रधानमंत्री पद का चेहरा तय करना विपक्ष के लिए वो सबसे बड़ी पहेली है, जिसका हल फिलहाल किसी के पास नहीं है. विपक्षी दलों में कई नेता हैं, जो प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं. इनमें ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और कांग्रेस की तरफ से प्रोजेक्ट किए जा रहे राहुल गांधी शामिल हैं. ऐसे में किसी एक चेहरे को अभी तय करना विपक्ष के लिए बेहद मुश्किल है. इसी कारण कोई भी विपक्षी दल फिलहाल इस पर कुछ नहीं कह रहा है. सभी का कहना है कि चुनाव में जीत के बाद इस पर फैसला कर लिया जाएगा. सोमवार को कर्नाटक में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इस सवाल के जवाब में यही कहा था कि फिलहाल चेहरे से ज्यादा मुद्दा अहम है. भाजपा की हार विपक्षी दलों का साझा एजेंडा है.
#UPDATE | Karnataka | Police personnel remove banners from Bengaluru's Chalukya Circle. Posters and banners targetting Bihar CM Nitish Kumar were put up at several locations, including this spot, across Bengaluru ahead of the second day of the joint Opposition meeting. pic.twitter.com/GzIg4JdhRu
— ANI (@ANI) July 18, 2023
5. दलों की आपसी 'ब्लैकमेलिंग' की कोशिश
विपक्षी दलों की महाएकता की परीक्षा लोकसभा चुनाव से पहले कम से कम 10 महीने होनी है. पहले संभावना थी कि भाजपा जल्दी लोकसभा चुनाव कराएगी, लेकिन कर्नाटक में मिली हार और इसके बाद विपक्षी महाएकता की कवायद में इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में रखने की बात मानी जा रही है. भाजपा सूत्रों के मुताबिक, माना जा रहा है कि विपक्षी दलों की यह महाएकता उनके बीच के आपसी मुद्दों के कारण ही ढेर हो जाएगी. विपक्षी महाएकता के लिए क्षेत्रीय दलों की आपसी 'ब्लैकमेलिंग' ही काल बन जाएगी. इस ब्लैकमेलिंग की शुरुआत आम आदमी पार्टी कर चुकी है. अरविंद केजरीवाल ने पटना में पहली मीटिंग में ही शर्त रखी थी कि कांग्रेस दिल्ली प्रशासन से जुड़े केंद्रीय अध्यादेश के विरोध में साथ नहीं देगी तो AAP उसके साथ खड़ी नहीं होगी. इसके चलते केजरीवाल को बेंगलूरु की बैठक में बुलाने के लिए कांग्रेस को रविवार को अध्यादेश के खिलाफ समर्थन का पासा फेंकना पड़ा है. भाजपा का मानना है कि अगले कुछ महीनों में अन्य क्षेत्रीय दल भी इस तर्ज पर 'ब्लैकमेलिंग' करते दिख सकते हैं, जो विपक्षी महाएकता में फूट का कारण बनेंगे. इसी कारण भाजपा लोकसभा चुनाव फिलहाल दूर रखना चाहती है, जो कि वह 10 महीने तक तो कर ही सकती है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.