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चुनाव
भारत में चुनावी इतिहास के वो दो पन्ने जब सिर्फ एक वोट पड़ गया था हर रणनीति पर भारी और बदल गए थे नतीजे.
डीएनए हिंदी: कल 10 मार्च को विधानसभा चुनावों का नतीजा आ जाएगा. हार-जीत का फैसला हो जाएगा. फिर बीते चुनावी नतीजों और इस साल के नतीजों की तुलना होगी. कौन से रिकॉर्ड बने, कौन से टूटे इसे लेकर भी खबरें आएंगी. ऐसा भी हो सकता है बनते-बिगड़ते रिकॉर्ड्स के बीच हार-जीत के आंकड़े हैरान-परेशान करने वाले रूप में सामने आएं. ऐसा पहले भी हो चुका है.
भारत के चुनावी इतिहास में कई ऐसे उदाहरण दर्ज हैं जब महज एक वोट के अंतर से हार-जीत तय हो गई. इस एक वोट ने कभी सरकार बना दी, कभी बिगाड़ दी और कभी ऐसे-ऐसे मजबूत उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा जिनके नाम पर एग्जिट पोल से लेकर ज्योतिषियों तक ने मुहर लगा रखी थी.
सिर्फ विधानसभा चुनावों की बात करें तो ऐसे दो वाकये रहे हैं जब एक वोट के अंतर से उम्मीदवार विधायक के पद से चूक गए. पहला वाकया राजस्थान में सी.पी.जोशी से जुड़ा है तो दूसरा कर्नाटक में ए.आर.कृष्णमूर्ति से.
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2008 विधानसभा चुनाव- राजस्थान
2008 के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी.पी.जोशी सिर्फ एक वोट से हार गए थे. उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के कल्याण सिंह चौहान को 62,216 वोट मिले थे जबकि उनको 62,215. वह उस समय मुख्यमंत्री पद के मजबूत उम्मीदवार थे लेकिन एक वोट ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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2004 विधानसभा चुनाव- कर्नाटक
कर्नाटक विधानसभा के 2004 के चुनाव में ए.आर.कृष्णमूर्ति जनता दल सेक्युलर के टिकट पर खड़े हुए थे. उस दौरान उनके प्रतिद्वंद्वी ध्रुवनारायण को 40752 वोट मिले थे जबकि उन्हें 40751. तब वह विधानसभा चुनाव में एक वोट से हारने वाले पहले शख्स बन गए थे.
अब देखना होगा कि 10 मार्च को आने वाले नतीजों में भी ऐसा कुछ होता है या इस बार हार-जीत का अंतर काफी बड़ा रहने वाला है.
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