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Premanand Maharaj: 84 लाख योनियों में भटकने के बाद कैसे और कब थमता है जन्म मरण का सिलसिला, प्रेमानंद जी महाराज ने किया साफ

Premanand Maharaj Quotes: आखिर व्यक्ति को 84 लाख योनियों का सफर तय करने में कितने साल लगते हैं. यह प्रक्रिया कैसे चलती है. इसका क्या संदर्भ है.

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Premanand Maharaj: 84 लाख योनियों में भटकने के बाद कैसे और कब थमता है जन्म मरण का सिलसिला, प्रेमानंद जी महाराज ने किया साफ

Premanand Maharaj: अक्सर आप ने सुना होगा कि मनुष्य का जन्म 84 लाख योनियों से गुजरने के बाद मिलता है. हिंदू धर्म में खासकर यह धारणा बनी हुई है. कई शास्त्रों में भी इसका जिक्र किया गया है. मन में उठते इसी सवाल को वृंदावन के प्रसिद्ध प्रेमानंद जी महाराज के भक्त ने उसने पूछ लिया कि आखिर व्यक्ति को 84 लाख योनियों का सफर तय करने में कितने साल लगते हैं. यह प्रक्रिया कैसे चलती है. इसका क्या संदर्भ है. प्रेमानंद जी महाराज ने भक्त के इस सवाल का जवाब भी बड़े ही सहजनता से दिया, आइए जानत हैं कि उन्होंने क्या जवाब दिया.

कितने समय में होता है 84 लाख योनियों का चक्र

प्रेमानंद महाराज ने भक्त के सवाल का जवाब दिया. उन्होंने कहा ​कि यह सब भगवान की माया है. इसका कोई निश्चित समय नहीं होता. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कई योनियां ऐसी होती हैं, जिसमें आत्मा को एक या नहीं बल्कि हजारों वर्षों तक रहना पड़ता है. इनमें सर्प से लेकर बिंछू जैसी योनियां शामिल हैं. ऐसे में अगर आत्मा को अलग अलग योनियों में जन्म लेना पड़े तो उन्हें कई सालों तक रहना पड़ता है. 

बार बार पाएं मनुष्य जीवन

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जब भी हर योनि अपना एक अलग आयाम है. ऐसे में यह तय नहीं किया जा सकता कि कौन सी योनि में कितने समय लगेगा. यह चक्र कब तक रहेगा. इसलिए अलग अलग सोचकर चिंतित होने की जगह, मनुष्य जीवन को धन्य बनाता है. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि तुम्हें यह दुर्लभ मनुष्य जीवन मिला है. इसे ऐसे जियो कि फिर कभी तुम्हें 84 लाख योनियों में भटकना ही न पड़े.” 

भगवान का जरूर करें भजन, मिल जाएगी मुक्ति

संत प्रेमानंद महाराज के अनुसार, हमें नियमित सुबह उठते ही भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि अगला जन्म हमें मनुष्य का मिले, जिससे हम पापों से मुक्ति पाने के साथ ही प्रभु का नाम जाप कर इस जीवन मरण से मुक्ति पा सकें.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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