भारत
राजा राम | Jul 01, 2025, 04:38 PM IST
1.इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल हुआ INS तमाल
भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत में एक और धार जोड़ते हुए मंगलवार को INS तमाल को आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया. रूस के कालिनिनग्राद शहर में आयोजित एक भव्य समारोह में इसे नौसेना को सौंपा गया. इस मौके पर वेस्टर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह भी मौजूद रहे. INS तमाल का निर्माण भारत और रूस के संयुक्त प्रयासों से हुआ है, जिसमें 33% स्वदेशी उपकरणों का उपयोग किया गया है. इसका नाम पौराणिक तलवार 'तमाल' से प्रेरित है.
2.रणनीतिक मजबूती का नया अध्याय
INS तमाल को वेस्टर्न नेवल कमांड में तैनात किया जाएगा, जिससे अरब सागर और पाकिस्तान के तटीय क्षेत्रों में भारत की सैन्य पकड़ और मजबूत होगी. इस युद्धपोत की तैनाती के बाद भारत की समुद्री चौकसी पहले से कहीं ज्यादा शक्तिशाली और सतर्क हो गई है. इसका ध्येय वाक्य 'सर्वदा सर्वत्र विजय' इस बात की घोषणा है कि यह जहाज हर परिस्थिति में जीत हासिल करने के लिए तैयार है.
3.पौराणिक प्रेरणा और सांस्कृतिक प्रतीक
INS तमाल का नाम जहां पौराणिक युग की एक शक्तिशाली तलवार से लिया गया है, वहीं इसका प्रतीकचिह्न भारतीय रामायण के योद्धा जाम्बवंत और रूसी भूरे भालू के संयोजन से तैयार किया गया है. यह युद्धपोत भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक और रक्षा सहयोग का प्रतीक है. इसके सैनिक खुद को 'द ग्रेट बेयर्स' कहकर गर्व महसूस करते हैं.
4.बेमिसाल तकनीकी क्षमताएं
125 मीटर लंबा और 3,900 टन वजनी यह युद्धपोत 30 नॉट्स (55 किमी/घंटा) की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आधुनिक रडार सिस्टम, टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट जैसे घातक हथियार लगे हैं. साथ ही यह स्टील्थ तकनीक से लैस है, जो इसे रडार की पकड़ से दूर रखती है.
5.हेलिकॉप्टर और मल्टीरोल ऑपरेशन में सक्षम
INS तमाल में हेलिकॉप्टर संचालन की भी सुविधा है, जिससे यह समुद्र और आकाश दोनों में बहुआयामी सैन्य अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है. यह पोत समुद्री निगरानी, सबमरीन खोज और आपातकालीन सहायता जैसे मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
6.आत्मनिर्भर भारत की दिखती है झलक
INS तमाल में 33% स्वदेशी तकनीक और उपकरणों का उपयोग हुआ है, जो भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं की प्रगति को दर्शाता है. यह युद्धपोत भारत और रूस के दशकों पुराने रक्षा सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है.