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Waqf Meaning in Hindi: लोकसभा में वक्फ बिल बुधवार को पेश किया गया. इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में घमासान मचा हुआ है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि वक्फ आखिर है क्या और ये शब्द कहां से आया.
सरकार ने वक्फ बोर्ड से जुड़े कुछ बदलावों के लिए दो नए विधेयक संसद में पेश किए हैं. इन विधेयकों के नाम- वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 हैं. इन विधेयकों के माध्यम से वक्फ से जुड़ी व्यवस्थाओं में कुछ नए नियम और बदलाव लाने की तैयारी है. 12 घंटे की लंबी बहस के बाद गुरुवार को लोकसभा ने इसे मंजूरी दे दी है, जिसमें 288 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 232 ने इसके खिलाफ मतदान किया. NDA ने इस कानून का बचाव करते हुए इसे अल्पसंख्यकों के लिए फायदेमंद बताया है, जबकि विपक्ष ने इसे "मुस्लिम विरोधी" बताया है. इस विषय पर तीखी बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि वक्फ शब्द का क्या मतलब होता है साथ ही इससे जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां.
वक्फ अरबी भाषा से निकला एक शब्द है, जिसका ओरिजिन 'वकुफा' शब्द से हुआ है. वकुफा का अर्थ होता है ठहरना, रोकना या प्रतिबंधित करना. इसी शब्द से बना वक्फ, जिसका हिंदी में मतलब होता है- 'संरक्षित करना'. इस्लाम में वक्फ का अर्थ संरक्षित की गई उस संपत्ति से होता है, जिसे किसी व्यक्ति ने धार्मिक या जन कल्याण के लिए दान कर दिया हो. एक बार संपत्ति वक्फ घोषित होने के बाद बेची या हस्तांतरित नहीं की जा सकती और उसका उपयोग केवल समाज के लाभ के लिए किया जाता है और इस संपत्ति को दान करने वाला व्यक्ति वकिफा कहलाता है.
भारत में वक्फ कानून की शुरुआत तब हुई जब, इस्लामी शासक और कुलीन लोग अक्सर धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान करते थे.पूर्व-औपनिवेशिक भारत में, हिंदू और मुसलमान पारिवारिक मामलों में अपने निजी कानूनों का पालन करते थे, जबकि न्यायिक प्रणाली समुदायों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को नियंत्रित करने वाले रीति-रिवाजों पर आधारित थी. इसके बाद ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था ने इस व्यवस्था को एक समान न्यायपालिका से बदल दिया.
साल 1913 में वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से ब्रिटिश सरकार ने शुरू किया था और बाद में साल 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया, जिसने इसे कानूनी आधार दिया हालांकि यह तब सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर था, जहां लोग गरीबों की मदद, शिक्षा या धार्मिक कामों के लिए अपनी संपत्ति दान कर देते थे.
देश भर में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करने के लिए 1954 में वक्फ अधिनियम लागू किया गया था. बाद में इस कानून को निरस्त कर दिया गया और इसकी जगह वक्फ अधिनियम 1955 लाया गया, जो वर्तमान में लागू है. साल 2013 के संशोधनों ने वक्फ बोर्ड के अधिकार को और मजबूत किया, साथ ही वक्फ संपत्तियों के अवैध हस्तांतरण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए.
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अधिनियम के अनुसार प्रत्येक राज्य को वक्फ संपत्तियों की पहचान करने और उनका सीमांकन करने के लिए एक सर्वेक्षण आयुक्त नियुक्त करना होगा. इन्हें राज्य के आधिकारिक राजपत्र में दर्ज किया जाता है और राज्य वक्फ बोर्ड द्वारा एक सूची बनाई जाती है. यह अधिनियम अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की सलाहकार संस्था, केन्द्रीय वक्फ परिषद की भी स्थापना करता है.
मौजूदा सरकार अपने सहयोगी दलों की मांग को स्वीकार करते हुए नए बिल में कई परिवर्तन किए हैं, जैसे पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को अपनी संपत्ति दान कर पाएगा. दान की जाने वाली संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद होने पर उसकी जांच के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा. इसके साथ ही पुराने कानून की धारा 11 को संशोधित करने का फैसला लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य चाहे वह मुस्लिम हों या गैर मुस्लिम, उसे गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा. इसका अर्थ यह कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है.
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