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Champa Vishwas Rape Case: बिहार में व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या से चंपा विश्वास केस की याद आती है. इस केस में एक आईएएस अधिकारी की बीबी के साथ 2 साल तक रेप हुआ था. आइए जानते है पूरा केस
Champa Vishwas Rape Case: नामचीन व्यापारी गोपाल खेमका की सरेआम हत्या ने पूरे देश का ध्यान बिहार के तरफ केंद्रित कर दिया है. इस घटना से बिहार की एक और रूंह कंपा देने वाली वारदात याद आती है. चंपा विश्वास कांड, ये उस समय के काले अध्याय के रूप में देखा जाता है. बिहार के इतिहास में 1990 से 2005 का दौर ‘जंगलराज’ के नाम से कुख्यात है. ये घटना 2 नवंबर 1995 में हुई थी. अभी एक एक दलित बिरादरी के प्रतिभाशाली आईएएस अधिकारी बीबी विश्वास की पोस्टिंग पटना में हुई थी, जहां उन्हें समाज कल्याण विभाग का सचिव बनाया गया.
हेमलता यादव ने रची साजिश
उनके पड़ोस में आरजेडी की ताकतवर विधायक और लालू यादव की करीबी हेमलता यादव का घर था जिसने इस कुकृत्य की पटकथा लिखी थी. 7 सितंबर 1995 को हेमलता यादव ने बीबी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास को अपने घर बुलाया. वहां उसके बेटे मृत्युंजय यादव ने पहली बार चंपा विश्वास के साथ दुष्कर्म किया. लेकिन ये सिर्फ शुरूआत थी, अगले 2 साल (1995-1997) तक मृत्युंजय ने चंपा विश्वास, उनकी भतीजी, मां और घर की दो नौकरानियों के साथ बार-बार यौन शोषण किया.
जाने दो, जिंदा तो हो
इसके बाद चंपा विश्वास और उनका पूरा परिवार डर के महौल में आ गया. हेमलता के खौफ की वजह से उसने नसबंदी तक करवा ली. 1997 में चंपा ने हिम्मत जुटाकर पुलिस में इसकी शिकायत की. लेकिन सिस्टम की नाकामी थी कि इस शिकायत पर किसी भी तरह की कार्रवाही नहीं की गई. इस बीच बीबी विश्वास ने लालू यादव से मुलाकात की और मदद मांगी. लेकिन लालू का जवाब था, जाने दो, जिंदा तो हो.
बिहार का जंगलराज
ये जवाब जंगलराज को परिभाषित करने के लिए पर्याप्त है. 1990 से 2005 के बीच बिहार में अपहरण, हत्या और बलात्कार की घटनाएं चरम पर थीं और चारा घोटाले जैसे भ्रष्टाचार ने इसे और बदनाम किया. चंपा विश्वास की कहानी बताती है कि उस दौर में बिहार में आईएएस की पत्नियां तक सुरक्षित नहीं थी. मृत्युंजय यादव कभी भी चंपा के घर पहुंच जाता था और रेप कर देता. मृत्युंजय न केवल चंपा का रेप करता, बल्कि उनकी भतीजी को भी अपने हवस का शिकार बनाता. वह अलग-अलग समय में आईएएस की दो-दो नौकरानी से भी रेप करता रहा.
सिस्टम देता था चुप रहने की सलाह
खास बात तो ये थी कि उस दौरान पुलिस फोर्स और बडे़ अधिकारी सहायता करने की बजाय चुप रहने की सलाह देते थे. ये शिलशिला 1997 तक चलता रहा. ये सब कुछ हेमलता की आंखो के आगे हो रहा था और आईएएस के परिवार को खत्म करने की धमकी भी लगातार दी जा रही थी. हेमलता का क्रूर आतंक इस कदर था कि अवैध संतान न हो जाए इससे बचने के लिए वो नसबंदी करवा लेती है.
सुशील मोदी ने सुनी दुखियारी की पुकार
ये सब चलता रहा कि 1997 में भाजपा नेता सुशील मोदी ने कुमार मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले को उजागर किया. उन्होंने लालू शासन को जंगलराज करार दिया और दावा किया कि सत्ता के नशे में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी. इस घटना ने RJD सरकार पर गंभीर सवाल उठाए. उधर एक दिन चंपा विश्वास और उनके पति ने तत्कालीन राज्यपाल सुंदर सिंह से मिलने पहुंचे उन्होंने इस मामले पर राज्यपाल से गुहार लगाई.
राज्यपाल की पहल का हुआ असर
राज्यपाल की पहल पर 1997 में मृत्युंजय यादव को गिरफ्तार किया जाता है. मृत्युंजय यादव को बाद में गिरफ्तार किया गया और निचली अदालत ने उसे सजा सुनाई. उधर हेमलता यादव फरार हो गई. लेकिन मामला मीडिया तक पहुंच चुका था. अब हेमलता का बचना मुश्किल था. मीडिया ने लगातार मामला कवर किया और हेमलता की गिरफ्तारी का पुलिस पर दवाब बनाया. करीब 2 महीने फरार रहने के बाद हेमलता ने सरेंडर कर दिया.
10 साल की जेल
5 साल बाद मृत्युंजय और हेमलता 3 साल जेल में रहीं. उसके बाद दोनों जमानत पर जेल से बाहर आ गए. इस बीच पटना लोकल कोर्ट का फैसला सुनाया जिसमें मृत्युंजय यादव को 10 साल और हेमलता यादव को 3 साल की सजा मिली. चूंकि हेमलता पहले ही तीन साल जेल में रह चुकी थीं इसलिए हेमलता को दोबारा जेल जाने की जरूरत नहीं पड़ी.
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