डीएनए एक्सप्लेनर
Pakistan Army चीफ जनरल Asim Munir को घोर भारत विरोधी माना जाता है. पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के पीछे भी उनके भड़काऊ भाषण को ही जिम्मेदार माना गया था. ऐसे में अमेरिका का उन्हें बुलाना भारत के लिहाज से कैसा है? चलिए ये समझने की कोशिश करते हैं.
India-Pakistan News: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच अमेरिका ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो भारत को नागवार गुजर सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल सैयद आसिम मुनीर अहमद शाह (General Asim Munir) को वॉशिंगटन डीसी आने का न्योता दिया है. यह न्योता मुनीर को US Army Day सेलीब्रेशन में गेस्ट के तौर पर शामिल होने के लिए मिला है, जिसका आयोजन 14 जून को किया जाएगा. इस बार यूएस आर्मी की 250वीं वर्षगांठ है, जिसके मौके पर अमेरिकी सेना ने दुनिया भर के मिलिट्री लीडर्स को न्योता दिया है. इसमें मुनीर को मिला न्योता बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ सालों से अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना को चीन का पिछलग्गू मानते हुए कोई खास भाव नहीं दिया है. ऐसे में अचानक मुनीर को दिया न्योता कूटनीतिक माना जा रहा है. खासतौर पर हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) और उसके बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) शुरू करने के बाद के घटनाक्रम में यह न्योता बेहद अहम है. क्या यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है?
चलिए 5 पॉइंट में पूरी बात समझने की कोशिश करते हैं.
1. मुनीर 12 जून को पहुंच सकते हैं वॉशिंगटन
CNN-News18 की रिपोर्ट में टॉप इंटेलिजेंस सूत्रों के हवाले से पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अमेरिका की तरफ से न्योता मिलने की पुष्टि की गई है. सूत्रों ने वॉशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के सूत्रों के हवाले से बताया है कि मुनीर 12 जून को अमेरिका पहुंच सकते हैं. सूत्रों का कहना है यह न्योता यूएस-चीन के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता और भारत के खिलाफ पाकिस्तान के किसी भी कदम की सामरिक अहमियत से जुड़ा हुआ है. अमेरिका इस दौरे पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख को उन आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहेगा, जो अफगानिस्तान और भारत को निशाना बना रहे हैं. बदले में पाकिस्तान अमेरिका से तहरीक-ए-तालिबान (TTP) को लेकर आश्वासन मांगेगा, जो अफगानिस्तान की सीमा में छिपकर पाकिस्तान के अंदर हमले कर रहा है. इस समय टीटीपी ही पाकिस्तानी सेना का सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है, जिसे पाकिस्तानी सेना काबू नहीं कर पा रही है.
2. ट्रंप भारत के खिलाफ हित तो नहीं साध रहे?
पाकिस्तानी सेना प्रमुख को अमेरिका के अपने यहां न्योता देने से एक सवाल और उठ खड़ा हुआ है. यह सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया गतिविधियों से जुड़ा हुआ है, जिसमें ट्रंप किसी भी तरह भारत को अपनी शर्तों के पक्ष में झुकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. इसमें जहां ट्रेड टैरिफ शामिल है, वहीं रूस के बजाय अमेरिका से फाइटर जेट खरीदने का दबाव भी है. ट्रंप भारत के नकारने के बावजूद बार-बार इंटरनेशनल लेवल पर भारत-पाकिस्तान का सीजफायर (India Pakistan Ceasefire) का श्रेय अपनी मध्यस्थता को देने की कोशिश करते रहे हैं. पाकिस्तान सरकार के अपनी सेना की मर्जी के बिना कोई कदम नहीं उठा पाने की बात जगजाहिर होने के बावजूद ट्रंप ने खुलेतौर पर वहां के राजनीतिक नेतृत्व को बेहद मजबूत बताया है. ये सब ऐसी बातें हैं, जो ट्रंप का झुकाव पाकिस्तान की तरफ होने की बात स्पष्ट करती रही हैं. ऐसे में मुनीर को मिले न्योते को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है.
3. पाकिस्तान पर भरोसा नहीं, फिर भी क्यों चाहिए उसका साथ?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करता है. पाकिस्तान के चीन से करीबी रिश्ते हैं. दोनों चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) व बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे प्रोजेक्ट्स में साथ जुड़े हुए हैं. ऐसे में अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तान उसके और चीन के बीच न्यूट्रल नहीं रह सकता है यानी पाकिस्तान का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा रहेगा. इसके बावजूद अमेरिका को पाकिस्तान को साथ रखने की कोशिश सवाल खड़ा करती है.
4. क्या पाकिस्तान के अहम खनिजों तक चीन की पहुंच रोकने का मकसद?
पाकिस्तान भले ही आर्थिक रूप से कंगाल हो चुका है और पूरी दुनिया में कर्ज मांगता घूम रहा है, लेकिन असल में पाकिस्तान की धरती में बहुत सारे कीमती खनिज छिपे हुए हैं. खासतौर पर बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वाह प्रांत लीथियम, कॉपर, गोल्ड जैसे कीमती खनिजों के साथ ही कई अन्य दुर्लभ भूखनिजों का भी भंडार है. इन्हें निकालने के लिए पाकिस्तान को निवेश की जरूरत है, जो चीन देने के लिए तैयार है. पाकिस्तान चीन के कर्ज में इतना फंस चुका है कि वह उसका उपनिवेश बनने के कगार पर है. इसके बावजूद अमेरिका का पाकिस्तान की तरफ झुकाव दिखाने का मकसद यही माना जा रहा है कि इन खनिजों तक लाल ड्रेगन की पहुंच को रोका जा सके.
5. भारत के खिलाफ अमेरिकी मध्यस्थता के फेवर में है पाकिस्तान
डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत और पाकिस्तान के बीच सभी विवादों में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश करते रहे हैं. हालांकि भारत इस पेशकश को साफतौर पर ठुकराता रहा है. भारत ने स्पष्ट कहा है कि उसके और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दे हैं, जिनमें वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं देखता है. इसके उलट पाकिस्तान लगातार अमेरिका से मध्यस्थता की गुहार लगाता रहा है. पाकिस्तान अपने खनिज स्रोतों तक अमेरिकी निवेश की पहुंच के बदले उससे कश्मीर विवाद में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की अपेक्षा कर रहा है. यदि अमेरिका यह बात मानता है तो सीधेतौर पर यह भारत के खिलाफ होगा, जो भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव का कारण बन सकता है.
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